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महानमा मालवीय

 25 दिसंबर 1861 मे जन्मे,  बहुत सरल व्यक्तित्व था उनका, विनम्र एवं शालीनता भरी, प्रेमभाव हमेशा रहता, हर किसी के साथ मित्रवत व्यवहार रहता, वकालत मे उन्हे कोई हरा न सका, अंगेज भी दातो तले अंगुली दबाती,  गौ गंगा गायत्री उनके प्राण थे, गंगा माॅ के लिए बहुत कार्य किए,  काशी हिन्द विश्वविद्यालय का निर्माण कराया, कितने बच्चो का जीवन संवार दिया, हिन्दी की अखण्ड ज्योति जलाई,  सरकार ने उनकी काबलियत को समझा, भारत रत्न से नवाज दिया, प्रथम पुरुष थे वो ऐसे, जिसको महामना की उपाधि से नवाज दिया, उनके जन्म दिवस पर,  उनको शत-शत प्रणाम। । गरिमा लखनवी

परिवर्तन

  परिवर्तन आएगा ऐसा सभी कहते हैं, विचारों में परिवर्तन आएगा, स्वच्छता पर लोग काम करेंगे, जो कड़ियां टूट गई है उनको जोड़ा जाएगा, नेता अच्छा काम करेंगे, भ्रष्टाचार का खात्मा होगा, विचारों में समानता होगी,, हां वह कहते हैं परिवर्तन आएगा। काम बिना लिए दिए होंगे, स्पष्ट बातें सब लोग करेंगे, मिलावट का दौर खत्म करेंगे, हां वह कहते हैं परिवर्तन आएगा। देश में हरियाली होगी, सुखा काल से मुक्ति होगी, लोगों के चेहरे पर खुशी होगी, हां वह कहते हैं परिवर्तन आएगा। भारतीय संस्कृति को लोग अपनाएंगे, बच्चों को संस्कृति बताएंगे, माता-पिता की इज्जत करेंगे सब, बड़ों के सम्मान में छोटों को प्यार करेंगे, हां वह कहते हैं परिवर्तन आएगा। पर कब आएगा यह कोई नहीं बताता।। गरिमा लखनऊ

फूल

फूल ने मुस्कुराते हुए कहा, मैं काटो के साथ रहता हूं, मेरी जिन्दगी बहुत कठिन है, फिर भी खुश्बू बिखेरता हूं, तो मैंने हंसकर कहा, तुम्हारी तरह मेरा भी जीवन है, अभी छोटा बच्चा हूं, फिर धीरे धीरे बड़ा हो जाऊंगा, अपनी खुशबू से सारा जहा महाकाऊंगा, फिर जीवन के आखिरी दिनों में, भगवान के चरणों मे रहूंगा, बाद में तुम्हारी तरह मिट्टी में मिल जाऊंगा।। गरिमा लखनवी

स्वप्न बिकते है

 स्वप्न बिकते है बोलो  खरीदोगे, कोई रोजगार  का स्वप्न बेचता, नेता गरीबी हटाने का स्वप्न बेचता, साधू स्वप्न बेचता है भगवान को पाने का,  कहते है कई लोग  हम आपको,  बना देंगे अमीर, हर कोई स्वप्न में डूबा है,  अभी  चुनाव आ रहे है,  नेता महगाई कम करने का स्वप्न बेचता,  सब को यही लालच है, हम  बन जाये   अमीर, कोई  काम नहीं करना चाहता, कंपनी कहती है मेरा सामान खरीदो,  तुम्हे मिलेगा सोना का सिक्का, पर जनता  मूर्ख है,   वो ये नहीं समझती, कोई  अपने घर से कुछ नहीं लाता, स्वप्न  बिक रहे है, सब सपनो में  जीते है,  क्या होगा नोजवानो का,  जो इन दिवास्वप्न में जीते है, स्व्प्न बिकते है बोलो खरीदोगे।। गरिमा लखनवी

जीवन साथी

  तुम जो आए साथ मेरे फिजा बदल गई, तुमसे मिलकर जीवन जीने की चाह बढ़ गई, ओ जीवन साथी मेरे जीवन साथी तुम हो मेरे साथ तो हर मौसम रंगीन है, हर तरफ फूल खिले बगिया महक गई। ओ जीवन साथी मेरे जीवन साथी चांद की क्या तारीफ करु मै तुम्हारे सामने, चांद भी फीका लगे मेरे सनम के सामने। ओ जीवन साथी मेरे जीवन साथी बरसात की बूंदे मेरे तन मन को भिगो रही हैं, प्यार की गुदगदी का अहसास मन में जगा रही हैं। ओ जीवन साथी मेरे जीवन साथी आज मैं सजी तेरे लिए भगवान से यही दुआ मांगी, साथ हो अपना जन्म जन्म का ऐसा आशीर्वाद मांगू। ओ जीवन साथी मेरे जीवन साथी तुम जो आए साथ मेरे फिजा बदल गई।। गरिमा लखनवी

करवाचौथ का महत्व

  साल मे एक दिन ऐसा भी आता है, जब पति देवता बन जाता है, उस दिन सब महिलाएं सज संवर कर,  अपने पति को छलनी में देखते हैं,  पति का सीना भी गर्व से चौड़ा हो जाता है,  एक दिन के लिए ही सही,  मेरी बीवी ने मुझे देवता तो समझा,  पर वह भूल जाता है,  मैं तो एक दिन का उल्लू हूं,  जैसे ही करवा चौथ खत्म होगा,  फिर वही माहौल होगा,  एक दिन का उल्लू बनने में,  पत्नी कितना खर्च करवा लेती है,  यह बात उसको तब समझ आती है,  जब करवा चौथ पर समाप्त हो जाता है,  यही सोचता है सारे दिन,  हर रोज करवा चौथ क्यों नहीं आता,  मैं हर रोज उल्लू क्यों नहीं बनता।। गरिमा लखनऊ

पितरों को नमन

  पितर हमारे पूजनीय होते है, इनकी हम वंदना करते है, साल भर में एक समय आता है, जब आपको पूजा जाता हैं, जब कोई मर जाता हैं,  उसके बाद ही हम उसे क्यों याद करते हैं, जीते जी जिसका सम्मान ना कर सके, प्यार ना दे सके, मरने के बाद उस के लिए प्यार दिखाने से क्या होगा, पितर को देव तुल्य माना गया हैं, 40 दिन बाद पुनर्जन्म हो जाता है, हम किसकी पूजा वंदना करते हैं, जो फिर से इस दुनिया में आ गए, परंतु वह हमे दिखाई नही देते, पितर ही हमारे जीवन का आधार होते है, पितर के बिना घर सूना सा लगता है, पितर के पुण्य प्रताप से कीर्ती मिलती है, पितरों के आशीष से घर में सुख समृद्धि रहती है, सभी पितरों को मेरा कोटि कोटि प्रणाम।। गरिमा लखनवी

हिन्दी

                                हिन्दी की शान निराली है, अपने आप में मतवाली है, संस्कृत के साथ लाड लड़ाती है, सुंदर है, सुगम है, मीठी सी है, अपने आप में यह निराली है, ओजस्विता का संगम है, आपस में मैत्री बढ़ती है, साहित्य की साधना हिन्दी है, कवियों का गुरुर हिंदी है, किसी भाषा से इसको बेर नही, हिंदी सबको  अपना बना लेती है , मां शारदा की आराधना हिंदी है, सबसे महान हिंदी भाषा है, राष्ट्र के माथे की बिंदी है  हर  जगह हिंदी अपना वर्चस्व दिखाती हैं, भारत की शान ही हिंदी है।। गरिमा लखनवी

गुरु की महिमा

  हम गुरु को प्रणाम करते है, हमको जो सही रास्ता दिखाएं, वही सच्चा गुरु होता है, भगवान से पहले गुरु ही, हमे रास्ता दिखाते है, जीवन के अंधेरों से,  उजाला की ओर लाते है, जीवन के संघर्षों से हमे, जीना सिखाते हैं, सही गलत हम  क्या कर रहे, हमको वह बतलाते है, शिष्यों के खुशी में, खुद ही खुश हो जाते है, हम कही भटक रहे हो, रास्ता वही दिखाते हैं, गुरु का कितना बखान करु, भगवान से वह मिलाते हैं, समस्त गुरु को मेरा शत शत नमन।। गरिमा लखनवी

संविदा कर्मियों का दर्द

  संविदा कर्मियों का दर्द कोई क्यों नहीं समझता दर्द हमारा हम भी इंसान हैं योगदान भी है हमारा सरकारी हो या निजी  कैसा भी हो दफ्तर हम काम कर रहे  बिना थक कर.   परमानेंट मौज ले रहे,  काम अपना थोप कर संविदा कर्मी पिस रहे  परमानेंट की धौंस पर  मुंह खोलना भी लाजिम नहीं फैसला हो जाता तुरंत कभी घट जाती सैलरी या नौकरी भी जाती रही  कौन समझेगा दर्द हमारा अधिकारी मस्त  संविदा कर्मी मिल गया सस्ते में मारा  हड़ताल की करो बात  तो मिल जाता है लॉलीपॉप कि जल्द ही करते हैं कुछ पर होता कुछ है नहीं  संविदा कर्मी घुट घुट कर जी रहा यूं ही सच बात तो यह है  दुगना काम कर भी  कुछ हासिल नहीं गर संविदा कर्मी ना हो तो ना चल सकता कोई ऑफिस हो जाएगी बहुत ही मुश्किल जो चले गए ये छोड़कर ऑफिस।। गरिमा लखनवी

रक्षाबंधन

 रक्षाबंधन रक्षा +बंधन से मिलकर बना हैं अर्थात एक ऐसा बंधन जो रक्षा का वचन ले इस दिन भाई अपनी बहन की उसके फर्ज का वचन अपने ऊपर लेते है रक्षाबंधन का पर्व सावन माह की पूर्णीमा को मनाया जाता हैं राखी एक ऐसा पर्व हैं जो भवनायो ओौर संवादनाओं से जुडा हैं भाई बहन ही नहीं अपितु गुरू शिष्य संतान अपनी माता पिता को राखी बांधकर उन्हे वचन दे सकते हैं कि वो उन्हे बढापे में वर्धाश्रम में अकेले नहीं छोडेंगे         श्रधा ओौर विश्वास से राखी का धागा बांधना चाहिए  ओौर उसके सभी दायित्व को पूरी निष्ठा के साथ पूरा करना चाहिए राखी का बन्धन प्यार के रिश्ते को मजबूत करने का बन्धन हैं  पूरे साल बहने इस त्योहार का इंतजार करती हैं राखी पर सारे गिले शिकवे दूर होते हैं राखी से प्यारा कोई त्योहार नहीं हैं राखी सभी रिश्तो में प्यार घोलने का काम करती हैं  जो भाई रूठे होते हैं  वो भी मान जाते हैं       कुछ लोग इसे अनाथ बच्चों को साथ  मनाते हैं उनको भी इस पर्व का महत्व समझाते हैं बच्चों में भी प्यार की भावना आती हैं वो भी रिश्तो को समझते हैं कुछ लोग पेडो को राखी बांधकर उन्हे वचन देते हैं कि हम पेड नहीं कटने देंगे पर्यव

पोता

  पोता जब इस दुनिया में आता है,  दादा दादी का बचपन लौट आता है, पोते की की मुस्कान में,  वह अपने सुख दुख भूल जाते हैं, उनके साथ खेलते हैं,  उनके साथ ही खाते हैं   वह  जब दादा-दादी की ऐनक निकाल कर खुद लगाता है,  दादा दादी को उसकी यह अदा बहुत लुभाती है,  पोते में अपना बचपन और ढूंढते हैं,  असल से सूद प्यारा होता है , पोता दादा का साथी होता है,   दादा पोता जब साथ होते हैं,  उनकी हर  हरकत मजेदार होती है,  दादा पोता का रिश्ता बहुत अनमोल होता है,  हर रिश्ते से अलग होता है,  दादा पोते को जिंदगी जीने का पाठ सिखाते हैं,  पोता दादा की जान होता है।।  गरिमा लखनवी

तीज

 आया तीज का त्यौहार,  दिल में उठे हर्ष अपार,  आओ सखियां तीज मनाए,  झूमे नाचे गाए बजाए,  झूम रहे हैं पेड पौधे देखो, काले काले बादल छाए, ऐसे में पिया की याद दिलाएं, हाथों में पिया के नाम की मेहंदी,   बहुत खूब रचाए,  सोलह सिंगार करके,  पिया जी के साथ हो,  धीमी धीमी बरसात हो,  झूले की सौगात हो, दोनों झूल रहे एक साथ हो,  जनम जनम का प्यार हो,  ऐसा भगवान का आशीर्वाद हो, आओ सखियों तीज मनाएं,  जीवन को खुशहाल बनाएं।। गरिमा लखनवी

सावन का महीना

  सावन का महीना बहुत खूबसूरत होता है, धरती और आकाश का मिलन इसी महीने में होता है, चारों तरफ हरियाली छा जाती है, मन का मयूर नाचने लगता है, ऐसे लगता है जैसे धरती हरि चुनर ओढ़ कर, नृत्य कर रही हो। सावन में छाई हरियाली किसी की याद दिलाती है, प्रीतम कहां हो तुम इस मौसम में, सावन में सब कुछ बहुत मीठा मीठा लगता है, जब काली घटा घर जाती है, और बादलों से बादलों का मिलन होता है, तब मन नृत्य करने लगता है, बादलों के अंदर एक सुंदर आकृति से दिखाई देती है, धरती पर फैली हरियाली मन विभोर कर देती है, सावन आते ही सखियों का साथ झूला झूलना बहुत अच्छा लगता है, झूला झूलते जब बारिश की बूंदे मन को भिगोती है, तो प्रेम की बरसात होती है। सावन में चारों और कोयल की आवाज सुरीली लगती है पेड़ पौधे पंछी सब नृत्य करने लगते हैं, सावन में आते ही सब कुछ हरा हरा ही दिखता है, सावन आता है खुशियां लाता है।। गरिमा लखनऊ

कारगिल दिवस

 वीरों के साहस को नमन करते हैं,  उन मांओं को नमन करते हैं,  कारगिल की चोटी पर वीरों ने तिरंगा लहराया,  दुश्मनों को अपने गोली से छठी का दूध याद दिलाया, 60 दिन चला था वह संग्राम, अपने लहू की कुर्बानी कर,  तुमने देश का मान बढ़या,  बर्फीले तूफानों को झेल कर,  लड़ते रहे तुम रात दिन,  दुश्मनों की सेना को परास्त किया,  तुमने भारत को बुलंदी  पर पहुंचया है, कारगिल और टाइगर हिल पर भारत का झंडा लहराया था,  हे बीरो तुमको हम नमन करते हैं,  तुमने भारत के अमन-चैन को बढ़ाया है,   हम कैसे भूल सकते हैं तुम्हारा योगदान,  तुम्हें हमारा शत शत  नमन है।। गरिमा लखनवी

ए जिंदगी

ए जिंदगी तू कैसे कैसे रंग दिखाती है,  कभी खट्टी तो कभी मीठी बन जाती है,  कभी धूप तो कभी छांव बन जाती है,  कभी धूप तो कभी सुख बन जाती है,  जिंदगी तेरे कितने रूप हैं,  हर रूप में एक नया रंग है,  रंगों से सजी जिंदगी कितनी खूबसूरत है,  हर दिन बादलों का डेरा,   सूरज दिखाता है एक नया रंग,  हर दिन नई किताब को पढ़ना,  हर एक दिन नई कहानी लिखती है जिंदगी,  आओ जिंदगी की बातें करें,  हर पल खुशी से जिए,  ए जिंदगी कैसे कैसे रंग दिखाती है,  कभी खट्टी मीठी बन जाती है।। गरिमा लखनवी

प्यार ही जिंदगी है

  प्यार ही जिंदगी, जिंदगी ही प्यार है , तुम रहो हम रहे बस यही ऐतबार है,  दुनिया से तुझको चुरा के,  हम ले जाएंगे उस जहां में,  जहां प्यार ही प्यार होगा,  नफरत का ना बार होगा,  ऐसे जहां मैं हम जाएंगे,  तुम रहो हम रहे बस यही ऐतबार है,  माना कि तुम हंसी हो,  पर हम भी किसी से कम नहीं,  प्यार से प्यार का हो रहा मिलन है, दोनों मिलकर एक नया जहां बनाएंगे,  तुम रहो हम रहे बस यही ऐतबार है, प्यार ही जिंदगी, जिंदगी ही प्यार है।। गरिमा लखनवी

जिंदगी से प्यार

  तुम जिंदगी से  क्यों हार मान गए गये  ऐसे तो न थे तुम, जिंदगी को जीने वाले थे तुम सबको हँसना सिखाते थे तुम और  आज खुद ही रो दिए। क्या हुआ जो कोई छूट गया? क्या हुआ जो दिल गया ?  पर खुश रहना आता था तुमको, चाहे कोई भी समय हो, जिंदगी हराने का नाम नहीं है, जिंदगी लड़ने का नाम है, चाहे  कुछ भी हो जाये, तुम खुश रहोगे, तुम्हारी पहचान तुम्हारा हसमुख स्वाभाव है, तुम नहीं तो कुछ नही नहीं है, सारी  खुशिया तुमसे ही है, क्या हुआ जो कोई दुःख आया, तुम इतना हिल गए, दुःख एक काली रात है,  उसे भूलकर फिर से मुस्कुराओ।। गरिमा लखनवी 

श्रमिक की व्यथा

 श्रमिक दिवस पर कुछ पंक्तियां श्रमिक की व्यथा कैसी होती है, दिन भर वह मेहनत करता है, फिर चार पैसे कमा पाता है, ज्यादा हो गर्मी या बरसात, हर रोज काम पर आता है। श्रमिक ना हो तो अनाज भी ना हो, सड़कें भी पक्की ना बने, श्रमिकों के हालात पर, किसी को रहम ना आता है। सब जगह खुशहाली होती है, श्रमिकों के ही कारण, धरती में हरियाली है, श्रमिकों के ही कारण। अगर श्रमिक ना हो तो, धरती बंजर हो जाएगी। फिर कहां से बढ़िया घर, दफ्तर बनाओगे। दुनिया का विकास हुआ, श्रमिकों के ही कारण। श्रमिक जी रहे तंगहाली में, उसकी सुध न कोई ले पाया। श्रमिक अपनी व्यथा जाकर किसको सुनाएं, अपने बच्चों के सपने  कैसे पूरा कर पाए। गरिमा लखनवी 

अंबेडकर जी की याद

  जिसने संविधान का उपहार दिया, ऐसे व्यक्तित्व का जन्म 14 अप्रैल को हुआ, अपने सोच से दी नयी दिशा, भेदभाव की सारी दीवार तोड दी, नये कालेजो का निर्माण कराया, शिक्षा का प्रचार-प्रसार कराया, अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया,  मतदान के प्रति जागरूक किया,  महिलाओं की शिक्षा पर जोर दिया, भारतीयों को शिक्षा का मूल मंत्र बताया,  जिंदगी में कभी निराश ना हुए,  आगे बढ़ने का पढ़ाया,  उनके ज्ञान को हम नतमस्तक करते हैं,  उनके चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम करते हैं।। गरिमा लखनवी

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम- भारतीय जीवन आदर्श

  मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जीवन आदर्श जीवन था। जिनका जीवन भारतीय संस्कृति एवं अध्यात्म का पर्याय था। श्री राम दशरथ के पुत्र थे, माता इनकी कौशल्या थी। पांच वर्ष की आयु में इनका यज्ञोपवीत संस्कार हुआ। उसके उपरांत विद्यारंभ हुआ, चारों भाई बचपन से ही विश्वामित्र के आश्रम में रहकर ब्रह्मचर्य की साधना करते थे। शिक्षा पूर्ण होने के उपरांत इनका विवाह राजा जनक की पुत्री सीता से हो गया। आदि कवि वाल्मीकि ने रामायण में लिखा है कि श्री राम की उम्र विवाह के समय 25 वर्ष एवं सीताजी की 18 वर्ष थी।      मर्यादा पुरुषोत्तम राम अविनाशी परमात्मा है। जो सबके सृजन हार एवं पालनहार है। श्री राम जी क्रोधित नहीं होते थे। वह मानवीय आत्मा की विजय के प्रतीक महापुरुष है, जिन्होंने धर्म और सत्य की स्थापना करने के लिए अधर्म एवं अत्याचार को ललकारा। अंधेरों में उजाले, असत्य पर सत्य, बुराई पर अच्छाई का प्रतीक बने। रामनवमी पर्व धर्म की स्थापना एवं बुराइयों के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक है।        भगवान श्रीराम ने आदर्श जीवन मर्यादा के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता यहां तक पत्नी का साथ छोड़ा। राम जी का परिवार आदर्श भारतीय

कल किसने देखा है

  क्या कल कभी आता है सब लोग काम कल पर देते है छोड़ क्या होता है कल किसी ने न देखा किसी ने न जाना आज में जीना होता है कल का कोई काम पूरा नहीं होता जो लोग जीते है आज में वाही होते है सफल कल जिन्दगी रहे न रहे तो सारे काम कर लो आज ही कल क्या ठिकाना कोई गिला न रहे हमें की शायद ये काम आज ही कर लिया होता पूरा तो आज पछताना नहीं पड़ता क्योकि कल कभी नहीं आता तो क्यों जीते है कल में आज ही कर लो हर तमन्ना पूरी क्या पता कल हो न हो

प्लेटलेट्स दान महान

  नया ज़माना नये अनुसंधान, आओ अब मिल करें प्लेटलेट्स का दान,  आता यह गंभीर रोग में काम,  जीवन बचाएं हम भी निष्काम, निर्भयता से करो प्लेटलेट दान, यह आता डेंगू और कैंसर से लड़ने के काम, ना आती कोई कमजोरी  72 घंटे बाद कर सकते दुबारा प्लेटलेट दान  बीमारियों का बढ़ता प्रकोप, आओ मिल करें प्लेटलेट दान  मनुष्य बढ़ा सकता जीवन का मान  प्लेटलेट्स दान कर पुण्य कमाए, अनजानों को दें मुस्कान,  प्लेटलेट्स दान करना बहुत आसान, इससे ना हो कोई नुकसान, प्रदेश में ऐसा न कोई अभियान,  लोहिया संस्थान चला रहा यह अभियान, प्लेटलेटस दान महादान महाभियान, आओ हम सब लें आज संकल्प, जिन्दगी को बचाने हम आगे आएंगे, प्लेटलेट्स दान करके हम जीवन बचाएंगे।। गरिमा लखनवी

पंडित दीनदयाल उपाध्याय

  1916 में जन्म लिया,  देश प्रेम का भाव लिए,  जन-जन में मानवतावाद भरने वाले,  ऐसे महापुरुष दीनदयाल उपाध्याय कहलाते हैं। सादा जीवन उच्च विचार,  यही रहा उनका व्यवहार,  सवके दुख को हरने वाले, 2 धोती दो कुर्ते में,  अपना जीवन बिता दिया, उनके जैसा कोई नहीं,  उन्होंने बता दिया,  देश प्रेम की लॉ जलाकर,  सबको पाठ पढ़ाया था, मां पिता का गौरव बढ़ाया,  देश को एक नई दिशा दिलाई,  ऐसे कर्म वीरों को,  मेरा शत-शत प्रणाम।। गरिमा लखनऊ

आजाद जी कहानी

  आजाद जन्मे भारत में,  देशभक्ति का जज्बा लिये, देश को आजाद कराने में,  अपना सर्वस्य न्यौछावर किया,  परतंत्रता भी काली रातों में,  आजादी का सूरज लाया था,  तोपे भी उसके सामने नतमस्तक थी, ऐसा वो शूरवीर मानव था ,  गोरो का सपना ऐसा था,  आजाद को बंदी बनाने का, जिंदा तो पकड़ ना पाते गोरे,  अगर वह छला गया न होता,  गोरो को जिंदा वो ना मिला,  अपने हाथों अपनी जान दे दी,  ऐसे शूररवीर महापुरुषों को, मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।।  गरिमा लखनवी

प्यार

   प्यार से प्यारा अहसास कुछ नही है, तुमसे प्यारा इस जहा मे कोई नही है, हर पल तेरी याद मुझको तडपाती है, हर वक्त तेरी बाते मुझको रुलाती है, तुमसे दूर रहना बहुत मुश्किल है, तुमसे बाते करना बहुत अच्छा लगता है, कुछ ख्वाब अधूरे से लगते है, उन ख्वाबो को तुम्हारे साथ पूरा करना है, रात की चांदनी बहुत खूबसूरत है, उसकी शीतलता तुम्हारी याद दिलाती है, प्यार बहुत खूबसूरत अहसास है, उन प्यारी यादो का अहसास अभी जिन्दा है, प्यार से प्यारा अहसास कुछ नही है।। गरिमा लखनवी

अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि

   1929 में जन्मी, मां सरस्वती का वास जिनके गले में था,  अपने गीतों की धूम मचा कर  देश विदेशों में नाम कमाया अपने गीतों से आपने,  अपने सबके दिल को बहलाया,  गम होगा तो मेरे दिल में,  आप के गाने सुन लेते थे, स्वर कोकिला का खिताब पाया,  सब के दिलों पर राज करती,  सब आपको बहुत प्यार करते हैं,  आज सबकी आंखें नम है,  आप हमको छोड़ गई,  दीदी आपका यू जाना,  हम सबको रुला गया,  यही दुआ हम करते हैं,  आपको भगवान के चरणों में जगह मिले,  भगवान भी आप के गानों का रसास्वादन अब करें,  आपकी चरणों में शत शत नमन।।  अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि
 मेरी लेखनी का आज उनको एक प्रणाम,  देश प्रेम किया जिन्होंने बिना थके बिना विराम,  आज मैं उनको याद हूं करती,  जिन्हें दुनिया सुभाष है कहती,  देशभक्ति का वो मतवाला, मातृभूमि की रक्षा करने वाला,  अपनी सूझबूझ और कूटनीति से,  जिसने क्रांति की मशाल जलाई,  बलिदानी सिरफिरे युवाओं में, फिर यह मशाल बुझने ना पाई,  इतिहास नया रच डाला था, अंग्रेजों की नींद उड़ा दी थी,  उसने ऐसा जोश भर डाला था, जिसने आजादी की नींव डाल दी थी आज मेरी कलम यह कहती,  आजादी के उन परवानों से,  गुलामी की जंजीर तो टूट चुकी,  पर खतरा है उन नाफरमानों से, फैला रहे जो अराजकता,  आतंकवाद का थामा है दामन जिननें,  देश का सौदा करने को,  मचल रहा है मन जिनका, आओ आज सुभाष के सपनों पर,  उनके सुझाए पथ पर चलकर,   आजाद हिन्द फौज का फिर से निर्माण करें,  देश में फैले अराजक तत्वों को , हम सब मिलकर दमन करें,  मां भारती कर रही करुण क्रंदन,  हे सुभाष आ जाओ अब धरती पर फिर से,  त्रास हरो फिर से जन मन के,   फिर से सब में जोश वो भर दो, देश प्रेम की भावना से सबको ओतप्रोत कर दो। है जन्मदिवस तुम्हारा आज,  है शत शत नमन हमारा आज,  मेरी लेखनी का लेख ये तु

नव वर्ष मंगलमय हो

  बादलो को चीर कर झांकता सूर्य  , धरती का तमस मिटाने को हो व्याकुल,  जैसे कह रहा हो हम सबसे, मै प्यार फैलाने आ गया हूँ धरती पर, दिलो मे पल रही नफरत को, मेरी रोशनी से कम कर दो,  आने वाले साल में,  नई उम्मीदें जागी है,  धरती पर खुशियां बिखरे,  ऐसी हम सब की कामना है,  मां भगवती  प्रार्थना करते है,   आने वाला साल,  सूर्य की तरह चमकता रहे,  चांद की तरह शीतल रहे,  फूलों की सुगंध बिखरती रहे,  पिछला साल बहुत दर्द भरा रहा,  ऐसा साल कभी ना आए,  सारे खुशी-खुशी नया साल मनाए,  नए साल की शुभकामनाएं।। गरिमा लखनवी