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दिवाली की खुशियाँ

हमने कहा प्रिय - आओ दिवाली मनाये खुशियों का रंग सबके चहरे पर ले आये दिए की लौ से हर तरफ अँधेरा दूर भगाये जैसे ही दिया हमने जलाया देखा दूर कही अँधेरा फैला है और बच्चो की सिसकती आवाज़ मेरे दिल को भेद रही है हम वहाँ गए तो देखा करुण क्रन्दन हो रहा था सब बैचेन थे कैसे दिवाली मनाये जब पड़ोस में अँधेरा हो तो प्रिय हम कैसे दिवाली मनाये फिर दिए लाकर दिए हमने और मिठाई से शुभ किया हमने बच्चो को  पाटखे दिए हमने फिर भी दिल उदास है कैसे मनाये दिवाली हम माँ की आखो में वो सूनापन क्या त्यौहार हमारे नहीं है बच्चे दूध और अच्छा खाना को तरसे तो प्रिय ऐसे में कैसे दिवाली मनाये हम गरिमा