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हमारा रिश्ता

  हमारा रिश्ता भी क्या खूब है,  जो कोई समझ ना सका,  हम दोनों बह गए इस रिश्ते में, ऐसा लगा मानो,  कई सदियों से तुम्हें जानते हैं,  क्या पूर्व जन्म का रिश्ता तो नहीं,  तुम पास नहीं होते,  तो लगता है कुछ खाली सा है,  दिल के किसी कोने से टीस आती है,  तुम्हें देखे बिना मन नहीं मानता,  क्या तुम्हें भी ऐसा अह्सास होता है,  तुमसे बात नहीं होती तो ऐसा लगता है,  जैसे आज दिन निकला ही नहीं,  है कोई रिश्ता हमारा तुम्हारा,  जिसे हम कोई नाम ना दे तो अच्छा है, तेरी बातों में कौन सा जादू है,  जिसे सुनकर सब भूल जाते हैं,  बड़ी मन्नतों के बाद पाया है ये रिश्ता,  हमारा रिश्ता सबसे न्यारा है,  ऐसे लगता है प्रभु ने तुम्हें मेरे लिए भेजा है, जो दिल में रहते हैं, उन्हें कभी भूल नहीं सकते,  हमारे रिश्ते को हम भूल नहीं सकते,  हमारा रिश्ता सबसे अनमोल है,  आपको कभी हम दिल से दूर नहीं कर सकते ।। गरिमा लखनवी

चाहत

 तेरी बातें मन को लुभाती है,  हर पल तुम से मिलना चाहती है,  तेरा गाना मुझे लुभाता है,  सीधी साधी बातें तेरी,  मन को हरषाती है,  दिल के हर कोने में तुम ही नजर आते हो,  तेरी याद मुझको तड़पाती है, तेरी आखों की मस्ती में डूब जाती हूँ,  तुम कब मेरे हो गये,  यह दिल को पता नहीं,  साथ हो तुम्हारा तो हर मंजिल आसान है,  हर सफर सुहाना लगता है, तेरे से हम हैं,  तुम ही मेरी आस हो,  मेरा साथ कभी छोड़ें  नहीं, तेरे साथ बात करना अच्छा लगता हैं।। गरिमा