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महानमा मालवीय

 25 दिसंबर 1861 मे जन्मे,  बहुत सरल व्यक्तित्व था उनका, विनम्र एवं शालीनता भरी, प्रेमभाव हमेशा रहता, हर किसी के साथ मित्रवत व्यवहार रहता, वकालत मे उन्हे कोई हरा न सका, अंगेज भी दातो तले अंगुली दबाती,  गौ गंगा गायत्री उनके प्राण थे, गंगा माॅ के लिए बहुत कार्य किए,  काशी हिन्द विश्वविद्यालय का निर्माण कराया, कितने बच्चो का जीवन संवार दिया, हिन्दी की अखण्ड ज्योति जलाई,  सरकार ने उनकी काबलियत को समझा, भारत रत्न से नवाज दिया, प्रथम पुरुष थे वो ऐसे, जिसको महामना की उपाधि से नवाज दिया, उनके जन्म दिवस पर,  उनको शत-शत प्रणाम। । गरिमा लखनवी

परिवर्तन

  परिवर्तन आएगा ऐसा सभी कहते हैं, विचारों में परिवर्तन आएगा, स्वच्छता पर लोग काम करेंगे, जो कड़ियां टूट गई है उनको जोड़ा जाएगा, नेता अच्छा काम करेंगे, भ्रष्टाचार का खात्मा होगा, विचारों में समानता होगी,, हां वह कहते हैं परिवर्तन आएगा। काम बिना लिए दिए होंगे, स्पष्ट बातें सब लोग करेंगे, मिलावट का दौर खत्म करेंगे, हां वह कहते हैं परिवर्तन आएगा। देश में हरियाली होगी, सुखा काल से मुक्ति होगी, लोगों के चेहरे पर खुशी होगी, हां वह कहते हैं परिवर्तन आएगा। भारतीय संस्कृति को लोग अपनाएंगे, बच्चों को संस्कृति बताएंगे, माता-पिता की इज्जत करेंगे सब, बड़ों के सम्मान में छोटों को प्यार करेंगे, हां वह कहते हैं परिवर्तन आएगा। पर कब आएगा यह कोई नहीं बताता।। गरिमा लखनऊ

फूल

फूल ने मुस्कुराते हुए कहा, मैं काटो के साथ रहता हूं, मेरी जिन्दगी बहुत कठिन है, फिर भी खुश्बू बिखेरता हूं, तो मैंने हंसकर कहा, तुम्हारी तरह मेरा भी जीवन है, अभी छोटा बच्चा हूं, फिर धीरे धीरे बड़ा हो जाऊंगा, अपनी खुशबू से सारा जहा महाकाऊंगा, फिर जीवन के आखिरी दिनों में, भगवान के चरणों मे रहूंगा, बाद में तुम्हारी तरह मिट्टी में मिल जाऊंगा।। गरिमा लखनवी