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सावन का महीना

  सावन का महीना बहुत खूबसूरत होता है, धरती और आकाश का मिलन इसी महीने में होता है, चारों तरफ हरियाली छा जाती है, मन का मयूर नाचने लगता है, ऐसे लगता है जैसे धरती हरि चुनर ओढ़ कर, नृत्य कर रही हो। सावन में छाई हरियाली किसी की याद दिलाती है, प्रीतम कहां हो तुम इस मौसम में, सावन में सब कुछ बहुत मीठा मीठा लगता है, जब काली घटा घर जाती है, और बादलों से बादलों का मिलन होता है, तब मन नृत्य करने लगता है, बादलों के अंदर एक सुंदर आकृति से दिखाई देती है, धरती पर फैली हरियाली मन विभोर कर देती है, सावन आते ही सखियों का साथ झूला झूलना बहुत अच्छा लगता है, झूला झूलते जब बारिश की बूंदे मन को भिगोती है, तो प्रेम की बरसात होती है। सावन में चारों और कोयल की आवाज सुरीली लगती है पेड़ पौधे पंछी सब नृत्य करने लगते हैं, सावन में आते ही सब कुछ हरा हरा ही दिखता है, सावन आता है खुशियां लाता है।। गरिमा लखनऊ

कारगिल दिवस

 वीरों के साहस को नमन करते हैं,  उन मांओं को नमन करते हैं,  कारगिल की चोटी पर वीरों ने तिरंगा लहराया,  दुश्मनों को अपने गोली से छठी का दूध याद दिलाया, 60 दिन चला था वह संग्राम, अपने लहू की कुर्बानी कर,  तुमने देश का मान बढ़या,  बर्फीले तूफानों को झेल कर,  लड़ते रहे तुम रात दिन,  दुश्मनों की सेना को परास्त किया,  तुमने भारत को बुलंदी  पर पहुंचया है, कारगिल और टाइगर हिल पर भारत का झंडा लहराया था,  हे बीरो तुमको हम नमन करते हैं,  तुमने भारत के अमन-चैन को बढ़ाया है,   हम कैसे भूल सकते हैं तुम्हारा योगदान,  तुम्हें हमारा शत शत  नमन है।। गरिमा लखनवी

ए जिंदगी

ए जिंदगी तू कैसे कैसे रंग दिखाती है,  कभी खट्टी तो कभी मीठी बन जाती है,  कभी धूप तो कभी छांव बन जाती है,  कभी धूप तो कभी सुख बन जाती है,  जिंदगी तेरे कितने रूप हैं,  हर रूप में एक नया रंग है,  रंगों से सजी जिंदगी कितनी खूबसूरत है,  हर दिन बादलों का डेरा,   सूरज दिखाता है एक नया रंग,  हर दिन नई किताब को पढ़ना,  हर एक दिन नई कहानी लिखती है जिंदगी,  आओ जिंदगी की बातें करें,  हर पल खुशी से जिए,  ए जिंदगी कैसे कैसे रंग दिखाती है,  कभी खट्टी मीठी बन जाती है।। गरिमा लखनवी