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चलो गांव की ओर

आओ सब गांव की और चले, जहा खेतो में हरियाली हो , जहा मंद मंद हवा चले, जहा चारो और खुशिया बिखरी हो, सब एक जगह पर बैठे हो, सब एकदूसरे का हाल कहे, आओ सब गांव की ओर चले, वो पुराना  बरगद का पेड़ बहुत याद आता है वो बचपन के झूले वो दादी का प्यार गांव की याद दिलाता है वो बैलगाड़ी की सवारी वो कुँए से पानी भरना वो आम तोड़ तोड़ कर खाना गांव की याद दिलाता है आओ सब गांव की और चले जहा मंद मंद हवा बहे गरिमा

सुनहरे ख्वाब

सुनहरे ख्वाब शीशे की तरह होते है झूठे रिश्तो को कब तक निभाएंगे मीठी यादें  हमको तड़पाएंगी तकिये की किनारे भिगोएगी एक दिन टूटेगा भ्रम का जाल सारे सुनहरे ख्वाब टूट जायेगा रिश्तो की डोरी मजबूत बाँधी  है एक दिन पर्दा उठेगा और डोर टूट जाएगी फिर क्या करेंगे उन सुनहरे ख्वाबो का जो आज हम  बुन  रहे है आँख खुल गयी और ख्वाब टूट गया सुनहरा ख्वाब है हमारा रिश्तो में हमेशा मिठास रहे हर तरफ हंसी का माहौल रहे आँख खुली तो देखा शीशा टूट गया हर सुनहरा ख्वाब टूट के बिखर गया गरिमा

गुनहगार

प्यार करना अगर गुनाह है तो में गुनहगार हु, माँ पिता की  सेवा करना करना गुनाह है तो में गुनहगार हु, बड़ो की बात मानना अगर गुनाह है तो में गुनहगार हु प्रकृति से प्यार करना अगर गुनाह है तो में गुनहगार हु सेवा करना अगर गुनाह है तो में गुनहगार है जिनगी जीना अगर गुनाह है तो में गुनहगार हु हा में गुनहगार हु मैं  सबकी भलाई सोचती हु  गिरते को बचना अगर गुनाह है तो में गुनहगार हु बच्चो को प्यार करना अगर गुनाह है तो में गुनहगार हु प्यार करना अगर गुनाह है तो में गुनहगार हु गरिमा