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शरद पूर्णिमा का चांद

  शरद पूर्णिमा का चांद मुझसे बातें करता, देखे होंगे कई पूर्णिमा के चांद तुमने, मुझमें बात कुछ अलग है, मै तुम्हारे प्रियवर की याद दिलाता हूं, मैं तुम्हारी उदासी दूर करता हूं, चांद कहता है मैं तुम्हारी हर कामना पूरी करता हूं, तुम्हें शीतलता का एहसास दिलाता हूं,  मैं चांद से कहती तुम ऐसे ही उजाले कर दो, हर किसी के जिंदगी में रोशनी भर दो, मेरे प्रियवर से तो मिलाओ मुझे, बाकी सबके प्रियवर  को भी उनसे मिला दो, सबके चेहरे पर खुशी का नूर भर दो, सबकी जिंदगी रंगीन कर दो,  हे शरद पूर्णिमा के चांद,  तुम साल में एक बार आते हो, सबके दिलों के अंदर अमृत भर दो।। गरिमा लखनवी

जय माता दी

  माता रानी ओ ओ , माता रानी ओ ओ ll माता रानी शेर पे  सवार होकर आई है, ----2 हाथ में  भाला, है तलवार भी लाई हैं।। माता रानी ओ ओ , माता रानी ओ ओ ll माता रानी शेर पे  सवार होकर आई है, ----2 भक्तों के कष्ट को मिटाना माता ll प्यार  की  वर्षा  बरसाना  माता ll सोलह श्रंगार कर माता रानी आई है ll माता रानी ओ ओ , माता रानी ओ ओ ll माता रानी शेर पे  सवार होकर आई है, ----2 तेरे दर पे आये है , बहुत ही सवाली ll तेरे दर से कोई भी नही जाता खाली ll माता रानी भक्तों के दिल पर छाई है l माता रानी ओ ओ , माता रानी ओ ओ ll माता रानी शेर पे  सवार होकर आई है, ----2 हर जगह मंदिरों में दीप को जलाओ ll खुशियां मनाओ माँ के भजन गाओ ll माता रानी सँग में शेर को भी लाई है ll माता रानी ओ ओ , माता रानी ओ ओ ll माता रानी शेर पे  सवार होकर आई है, ----2

गणपति बप्पा

  गणपति बप्पा आये  सारे दुःख ले जाये,  खुशियों को फैलाये  अन्धकार को हटाये, रिद्बी सिद्वी के दाता,  फरियाद मेरी सुनना, सबके मन मेँ हो प्यार नफरत को हटाना, चारो ओर उजाला हो  देश में जितनी समस्या हो सबको दूर कर दो, दुनिया के सारे पाप  अपने साथ ले जाना, गणपति बप्पा आना सारे दुख ले जाना, हर तरफ  खुशिओं की बाहर हो बेटियाँ को सुरखित रखना,  त्योहार मनाये उत्साह से  हर तरफ हो खुशहाली, मार काट ना हो  भाईयो में प्यार हो, गणपति बप्पा अपने भक्तो की,  फरियाद सुन लो चारो ओर फैला दो खुशिओं की बाहर गरिमा

कृष्ण

जो होगा में वो अर्पण करूँगी,  पकवान नही तो दही माखन मिश्री का भोग लगा दूंगी, कृष्ण खुशिओं की बरसात कर दो, मेरे देश से नफरत की दीवार गिरा दो, हर तरफ़ प्यार ही प्यार बरसा दो  कृष्ण तुम हमारी प्रार्थना सुन लो,  फिर से आ जाओ धरती पर  अपनी लीला दिखा कर सबके दुख दूर करो, कृष्ण आ जाओ धरती पर नफरत को प्यार में बदल दो, कृष्ण तुम बांसुरी बजा कर  गायों को कटने से बचा लो, कृष्ण मेरी फरियाद सुन लो कृष्ण तुम आ जाओ धरती पर  गरिमा पर 

हरतालिका तीज

   भादो में हरतालिका तीज आती है,  सब नारियां सज जाती है,  बादलों की गड़गड़ाहट मन हरषाती  है,  बारिश की बूंदे मन बहलाती है, ठंडी हवा शीतलता देती है,  हर पत्नी को पति शिव लगता है,  पत्नी श्रृंगार कर पूजा करती है,  पूरे दिन का उपवास रखती है,  हाथों की मेहंदी बहुत सुहाती है,  सुहाग की चुनरी लहलहाती है,  सुख सौभाग्य का व्रत कहलाता है,  हर पत्नी मंगल गीत गाती है,   भादो में हरतालिका तीज आती है,  मन को बहुत हरषाती है।। गरिमा लखनवी

कृष्ण आ जाओ धरती पर

  कृष्ण इस साल तुम सच में जन्म ले लो , धरती पर पाप बढ़ रहे हैं,  लोग इस दुनिया से पलायन कर रहे हैं,  हे कृष्ण आ जाओ धरती पर,  धरती को हरा-भरा कर दो,  बांसुरी की धुन सुना कर सबको मंत्रमुग्ध कर दो,  कृष्ण अपना सुदर्शन चक्र चलाओ,  धरती से पाप मिटाओ,  अमन चैन शांति हो हर जगह पर,  घर घर पूजा की थाल सजे,  मंदिर सारे पावन हो जाए,  हर और प्यार की गंगा बहे,  हे कृष्ण तुम ही नैया पार लगा,  जो बिछड़े हुए सबको मिला दो,   हे कृष्ण आ जाओ धरती पर,  सबके कष्ट मिटा जाओ,  भाई भाई मैं बैर हो रहा,  पिता-पुत्र गैर हो रहा,  बहनों की इज्जत तार-तार हो रही,  सब की रक्षा तुम कर जाओ,   हे कृष्ण आ जाओ धरती पर।। गरिमा लखनवी

रक्षाबंधन

  राखी की डोर से,  भाई-बहन का नेह जुडा,  सबसे अच्छा सबसे प्यारा,  भाई बहन का रिश्ता है,  सावन में बहने जब,  भाई के घर पहुंचती है,  भाई बहनों के बीच, लड़ना झगड़ना होता है,  भाई लाड से मनाता है,  बहनों को उपहार दिलाता है,  बहुत सुंदर रिश्ता यह है,  भाई बहन का प्यार,  हर बहन यही मांगे दुआ,  मेरा भाई जुग जुग जिए,  भाई बहन के बिना अधूरा है परिवार,  यह रिश्ता परिवार की शान है,  हर वर्ष राखी पर यही दुआ मांगू, मेरा भाई सलामत रहे,  हर वर्ष मिलजुलकर,  मनाए राखी का त्यौहार।। गरिमा लखनऊ

मुंशी प्रेमचंद जी

आप आज होते तो बहुत दुखी होते,  जन्म लिया आपने बड़े हर्ष की बात,  साहित्य में अपना नाम रोशन कर गये, आपने साहित्य जगत को एक मंच दे दिया, जिन्दगी एक नाटक है आपने सिखा दिया, पूस की रात का आपने व्याख्यान किया, आपने जिन्दगी में सही गलत अपने नाटकों से सिखा दिया,  आप की कमी हमेशा खलेगी,  कहाँ चले गए आप साहित्य की दुनिया छोडकर,  आ जाइए फिर इस दुनिया में,  आपके के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम है। । गरिमा लखनवी

पत्नी

  पत्नी से घर आंगन महकता  है,  पत्नी की चूड़ियों की झंकार अच्छी लगती है , पत्नी मां बहन बेटी का धर्म निभाती है , पत्नी पूरे घर को संभालती है , पत्नी के आँचल में छुपना चाहता हूँ,    पत्नी  को सम्मान देना चाहता हूं,  पत्नी ना हो तो घर सूना है,  पत्नी पूरे घर की शान है,  पत्नी अपना घर छोड़कर आती है,  पत्नी हमारे घर को अपना बनाती है,  पत्नी लक्ष्मी का भंडार है,  पत्नी  अन्नपूर्णा माता है,   पत्नी पत्नी मेरे जिगर का टुकड़ा है,  पत्नी के बिना मैं अधूरा हूं।। गरिमा लखनऊ

शब्द

   शब्द मौन है, शब्द ही हंसाते हैं, शब्द ही रुलाते हैं, शब्द ही हमें बोलना सिखाते हैं। शब्दों से ही हम किसी के दुश्मन बनते हैं, शब्दों से ही हम किसी के मन में बनते हैं। शब्द ही तो है जो हमे गर्त में ले जाते हैं, शब्द ही हैं जो हमें गर्त से बचाते हैं। शब्द भगवान से मिलाते हैं, शब्द पापा का आशीर्वाद है, शब्द  मां का प्यार है, शब्द दोस्तों  का लाड है, शब्द भाई बहनों का प्यार है। शब्द स्वर्ग का रास्ता है, शब्द ही आधार है। तो ए मेरे दोस्तों! शब्दों को बोलने से पहले कुछ तो सोचो, शब्दों से किसी का दिल मत तोड़ो, शब्दों से प्यार भरा दिल जोड़ो।। गरिमा

याद आने लगी

तुम सब के जाने के बाद,  दीवारें भी रोने लगी, वो तेरी प्यारी सूरत  मेरे, दिल को बहलाने लगी, क्या हुआ जो धूप में तुम चमकने लगे, क्या हुआ जो वारिश में  बहकने लगे, गुजरा हुआ तुम्हारे साथ वो हसीन लम्हा, तेरी याद दिलाने लगा है,  क्या समय आया है, बिछड़ रहे सब बारी बारी, यादो का लम्हा गुजरता नहीं है,  आखों से अश्क रुकते नहीं है, जिंदगी वीरान सी लगने लगी है, सारी ख्वाहिश बिखरने लगी है, अब तो हंसी भी जैसे रूठ सी गई है, यादों का मेला लगने लगा है,  दिल तेरे याद में रोने लगा है।। गरिमा लखनवी

सजना गए परदेस

 सजना गए परदेस ना आया कोई भी सन्देश। सजन तुम भूल गए ! पिया क्यूँ  तुम दूर गये ? ना बीते अब दिन ये महीना । विरह  किये मुश्किल में जीना  । याद तुम्हारी नागिन बन के । डसती ह्रदय को घायल करके । शायद तुम अब रूठ गये  पिया क्यूँ  तुम दूर गये ।। नैना नदिया बन के बहते । शब्द अध खुले से रह जाते । कब आओगे साजन मेरे । दिल की बगिया रोज पुकारे । मन तेरे क्यूँ डोल गये । दिल मेरा क्यूँ तोड़ गये । मुरझाये मुरझाये मेरे  मन के सारे फूल गये । पिया क्यूँ तुम दूर गये ।। पिया क्यूँ तुम दूर गये ।। गरिमा 

जिंदगी से प्यार

  तुम जिंदगी से  क्यों हार मान गए गये  ऐसे तो न थे तुम, जिंदगी को जीने वाले थे तुम सबको हँसना सिखाते थे तुम और  आज खुद ही रो दिए। क्या हुआ जो कोई छूट गया? क्या हुआ जो दिल गया ?  पर खुश रहना आता था तुमको चाहे कोई भी समय हो जिंदगी हराने का नाम नहीं है जिंदगी लड़ने का नाम है चाहे  कुछ भी हो जाये तुम खुश रहोगे तुम्हारी पहचान तुम्हारा हसमुख स्वाभाव है तुम नहीं तो कुछ नही नहीं है सारी  खुशिया तुमसे ही है क्या हुआ जो कोई दुःख आया तुम इतना हिल गए दुःख एक काली रात है  उसे भूलकर फिर से मुस्कुराओ