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ऐ दोस्त

बेवजह क्यों मुस्करा रहे हो तुम, कौन है जिसके पास जा रहे हो तुम, हमसे क्या ख़फ़ा हुई ऐ दोस्त, हमारी महफिल छोडकर जा रहे हो तुम, हमने तो तुमको अपना समझा था, बेगाना कर चल दिये तुम, जीवन की हर शाम तुम्हारे साथ बिताएंगे, ये वादा भी निभा ना सके तुम, क्या क्या सपने देखे थे साथ मिलकर, एक को भी पूरा ना कर सके तुम, ऐ दोस्त तुम बहुत अनमोल हो, मेरी जिन्दगी के हसीन पल हो तुम, बेवजह क्यों मुस्करा रहे हो तुम, कौन है जिसके पास जा रहे तुम। । गरिमा लखनवी

सुनहरे ख्वाब

सुनहरे ख्वाब शीशे की तरह होते हैं, झूठे रिश्तो को कब तक निभाएंगे, मीठी यादें हमको तड़पाएगी, तकिए के किनारे भिगोएयेगी, एक दिन टूटेगा भ्रम का जाल, मस्त माल नहीं करती हूं सारे सुनहरे ख्वाब टूट जाएंगे। रिश्तो की डोरी मजबूत बांधी है, एक दिन पर्दा उठेगा, और जो टूट जाएगी। फिर क्या करेंगे उन उन सुनहरे ख्वाबों का, जो आज हम बुन रहे हैं। आंख खुल गई और ख्वाब टूट गया, सुनहरा ख्वाब है हमारा, रिश्तो में हमेशा मिठास रहे, हर तरह फंसी का माहौल रहे, आंख खुली तो देखा, सुनहरा ख्वाब टूट के बिखर गया।। गरिमा लखनऊ

अम्बेडकर की कहानी

  14 अप्रैल 1891 को महू छावनी में जन्म लिया, अपनी माता की गोद को धन्य किया, बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, कई उपलब्धियां हासिल की, भारत माता की स्वतंत्रता के लिए , सराहनीय योगदान रहा, 2 साल 11 माह 18 दिन में संविधान रचकर, एक नया इतिहास बनाया, धर्म जाति से ऊपर उठकर, धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाया, बौद्ध धर्म को अपनाकर, बौद्ध धर्म की दीक्षा ली, दलित पिछड़ों में दीप जलाकर, मानवता का पाठ पढ़ाया, ऐसे महापुरुष जिसने भारत को नयी दिशा दी, युगपुरुष कहलाते है,  पंक्तियाँ भी कम है ऐसे महापुरुष का गुणगान करने  को , ऐसे महापुरुष को मेरा शत शत नमन। । गरिमा लखनवी