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जनवरी, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आया बसंत

     हर तरफ छाया है बसंत की खुमार, चारों ओर फैला है खुशियों का वातावरण,  जाड़े से गर्मी की और प्रकृति जा रही हैं, हर तरफ सरसों का पीला वातावरण है, मानो धरती माँ ने धानी चुनर ओढ़ रखी है, बागों में चिड़िया चहक रही हैं, आम की बोर की खुशबु चारो ओर बिखरी है,  कलियों  ने भी आखे खोली , नई उमंग के साथ प्रकृति इठलाते, सूरज ने भी गर्मी दे दी , हर जगह लाल पीले फूलो की चादर  बिछी हुई  लगती है , मौसम भी मजे ले रहा है,  हर तरफ उजाला हो रहा है,  बसंत के मौसम में हर कोई,  प्रक्रति में खो जाना चाहता है,    हर कोई उल्लासित है,  बसंत के मौसम में , चारो ओर धुन्ध हट रही हैं, वैसे ही सबके दिलों से , नफरत की धुन्ध हट जाए, सबके दिलों में प्यार की बरसात हो, बसंत आया मदमस्त समा लाया। । गरिमा लखनवी

गणतंत्र दिवस

   गणतंत्र दिवस आ गया, हर्षोल्लास हो गया,  चारों और धूम मची, हर गली में नारा गूंज गया।pp  प्रभात फेरी का दौर चला, हर भारतीय में जोश बढ़ा, भारतीय संस्कृति की चुनर ओढ़, चल पड़े सब नर नारी,  तिरंगे की धूम मची, भारत माता की जय के नारे गूंजे,  गणतंत्र दिवस आ गया हर्षोल्लास छा गया। नवपरिधान बसंती रंग का, भारत माता आयी हैं, रंग-बिरंगे फूलों से, मां का आंचल सजाया है। हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सबने शान बढ़ाया है, वीरों ने इसकी रक्षा में अपना रक्त बहाया है, आओ मिलकर हम तिरंगा फहरायें झूमें नाचें गाएं बजाएं, गणतंत्र दिवस आ गया हर्षोल्लास छा गया।। गरिमा लखनवी

मकर संक्रांति पर पतंग की बातें

  आओ ऐसी पतंग बनाए, जिसको चारों और लहराए, विश्व शांति का पाठ पढ़ाई , प्यार  का संदेश फैलाये, तिल के लड्डू सबमें बातें, खिचड़ी सबके साथ मिलकर खाए, आओ ऐसी पतंग बनाए, पतंग जो उड़े आसमान में , सुख शांति का संदेश बिखरे, हर ओर बिखरी सुगंध हो, तिल गुड़ का मेल हो, मकर संक्रांति के दिन, सूरज मामा आखें खोलते हैं, हर कली मुस्कुराती है, आओ एक ऐसी पतंग बनाए, जिसकी डोर इंसानो को बांधे, हर रिश्ते को मजबूत बनाए, परिवार को समझे जाने, हर बंधन को बांध कर रखे, आओ एक ऐसी पतंग बनाए। । मकर संक्रांति की शुभकामनाएं  गरिमा Lucknavi