पोता

 

पोता जब इस दुनिया में आता है,

 दादा दादी का बचपन लौट आता है,

पोते की की मुस्कान में,

 वह अपने सुख दुख भूल जाते हैं,

उनके साथ खेलते हैं,

 उनके साथ ही खाते हैं 

 वह  जब दादा-दादी की ऐनक निकाल कर खुद लगाता है,

 दादा दादी को उसकी यह अदा बहुत लुभाती है,

 पोते में अपना बचपन और ढूंढते हैं,

 असल से सूद प्यारा होता है ,

पोता दादा का साथी होता है, 

 दादा पोता जब साथ होते हैं, 

उनकी हर  हरकत मजेदार होती है,

 दादा पोता का रिश्ता बहुत अनमोल होता है,

 हर रिश्ते से अलग होता है,

 दादा पोते को जिंदगी जीने का पाठ सिखाते हैं,

 पोता दादा की जान होता है।।

 गरिमा लखनवी

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