मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम- भारतीय जीवन आदर्श

 

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जीवन आदर्श जीवन था। जिनका जीवन भारतीय संस्कृति एवं अध्यात्म का पर्याय था। श्री राम दशरथ के पुत्र थे, माता इनकी कौशल्या थी। पांच वर्ष की आयु में इनका यज्ञोपवीत संस्कार हुआ। उसके उपरांत विद्यारंभ हुआ, चारों भाई बचपन से ही विश्वामित्र के आश्रम में रहकर ब्रह्मचर्य की साधना करते थे। शिक्षा पूर्ण होने के उपरांत इनका विवाह राजा जनक की पुत्री सीता से हो गया। आदि कवि वाल्मीकि ने रामायण में लिखा है कि श्री राम की उम्र विवाह के समय 25 वर्ष एवं सीताजी की 18 वर्ष थी।

     मर्यादा पुरुषोत्तम राम अविनाशी परमात्मा है। जो सबके सृजन हार एवं पालनहार है। श्री राम जी क्रोधित नहीं होते थे। वह मानवीय आत्मा की विजय के प्रतीक महापुरुष है, जिन्होंने धर्म और सत्य की स्थापना करने के लिए अधर्म एवं अत्याचार को ललकारा। अंधेरों में उजाले, असत्य पर सत्य, बुराई पर अच्छाई का प्रतीक बने। रामनवमी पर्व धर्म की स्थापना एवं बुराइयों के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक है।

       भगवान श्रीराम ने आदर्श जीवन मर्यादा के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता यहां तक पत्नी का साथ छोड़ा। राम जी का परिवार आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। श्री राम अनंत मर्यादा के पुरुष हैं। इसलिए इन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम से पुकारा जाता है। हमारे समाज में राम जी जैसा कोई दूसरा चरित्र नहीं है, जो मर्यादित हो न्याय प्रिय हो और भारतीय संस्कृति के मूल्यों को मानने वाला हो। श्री राम ने लंका के अत्याचारी राजा का वध कर भारतीय संस्कृति को जागृत किया।

       तुलसीदास जी की रामचरितमानस एक कालजई रचना है। जो भारतीय मनीषा के समस्त लौकिक, पारलौकिक, आध्यात्मिक, नैतिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों का श्रीराम के चरित्र में  चित्रण है, जो ऐसा प्रतीत कराती है कि मानो किसी कुशल शिल्पी ने नगीने जड़े हो। तुलसीदास ने श्रीराम के जीवन केवल कई प्रसंगों का व्याख्यान करते हुए उनको ईश्वरत्व का इशारा किया है, अर्थात तुलसी ने श्री राम के चरित्र को दो परस्पर विरोधी और विपरीत धाराओं मे समन्वय का प्रयास करके इसे और भव्यता प्रदान की है।

    श्री राम लोक नायक एवं मानव चेतना के आदि पुरुष भी थे। भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों में दो अक्षरों का एक राम नाम में गहरी पैठ समाया हुआ है। श्री राम का संपूर्ण जीवन विलक्षणता एवं विशेषताओं से ओतप्रोत हैं। उनका ह्रदय करुणा का सागर है। श्रीराम का संपूर्ण जीवन विलक्षण ताऊ एवं विशेषताओं से ओतप्रोत है प्रेरणादाई है मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जीवन से यही शिक्षा मिलती है कि हमें मर्यादित रहना चाहिए सभी बड़ों का सम्मान एवं छोटों को स्नेह करना चाहिए दूसरों को सम्मान देना चाहिए और एक आदर्श जीवन जीना चाहिए।

 गरिमा लखनवी

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