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कृष्ण आ जाओ धरती पर

  कृष्ण इस साल तुम सच में जन्म ले लो , धरती पर पाप बढ़ रहे हैं,  लोग इस दुनिया से पलायन कर रहे हैं,  हे कृष्ण आ जाओ धरती पर,  धरती को हरा-भरा कर दो,  बांसुरी की धुन सुना कर सबको मंत्रमुग्ध कर दो,  कृष्ण अपना सुदर्शन चक्र चलाओ,  धरती से पाप मिटाओ,  अमन चैन शांति हो हर जगह पर,  घर घर पूजा की थाल सजे,  मंदिर सारे पावन हो जाए,  हर और प्यार की गंगा बहे,  हे कृष्ण तुम ही नैया पार लगा,  जो बिछड़े हुए सबको मिला दो,   हे कृष्ण आ जाओ धरती पर,  सबके कष्ट मिटा जाओ,  भाई भाई मैं बैर हो रहा,  पिता-पुत्र गैर हो रहा,  बहनों की इज्जत तार-तार हो रही,  सब की रक्षा तुम कर जाओ,   हे कृष्ण आ जाओ धरती पर।। गरिमा लखनवी

रक्षाबंधन

  राखी की डोर से,  भाई-बहन का नेह जुडा,  सबसे अच्छा सबसे प्यारा,  भाई बहन का रिश्ता है,  सावन में बहने जब,  भाई के घर पहुंचती है,  भाई बहनों के बीच, लड़ना झगड़ना होता है,  भाई लाड से मनाता है,  बहनों को उपहार दिलाता है,  बहुत सुंदर रिश्ता यह है,  भाई बहन का प्यार,  हर बहन यही मांगे दुआ,  मेरा भाई जुग जुग जिए,  भाई बहन के बिना अधूरा है परिवार,  यह रिश्ता परिवार की शान है,  हर वर्ष राखी पर यही दुआ मांगू, मेरा भाई सलामत रहे,  हर वर्ष मिलजुलकर,  मनाए राखी का त्यौहार।। गरिमा लखनऊ

मुंशी प्रेमचंद जी

आप आज होते तो बहुत दुखी होते,  जन्म लिया आपने बड़े हर्ष की बात,  साहित्य में अपना नाम रोशन कर गये, आपने साहित्य जगत को एक मंच दे दिया, जिन्दगी एक नाटक है आपने सिखा दिया, पूस की रात का आपने व्याख्यान किया, आपने जिन्दगी में सही गलत अपने नाटकों से सिखा दिया,  आप की कमी हमेशा खलेगी,  कहाँ चले गए आप साहित्य की दुनिया छोडकर,  आ जाइए फिर इस दुनिया में,  आपके के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम है। । गरिमा लखनवी