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दीदार

 मुद्दतों से बड़ी तमन्ना थी मुझे तुमसे मिलने की, पर दिख ना रहा था रास्ता मुझे कोई मेरी ज़िन्दगी में, लेकिन गये क्या हम उनके दर पर, खुलते ही दरवाजा के हो गए दीदार उनके, दीदार होते ही नज़रे चार हुई,  आँखों ही आँखों में बात हुई, कुछ शिकवे तुम्हारे थे,  कुछ शिकवे हमारे थे,  क्यों चले गए थे जीवन से,  ऐसा लगता था मानो जिंदगी वीरान हो गई हो,  सारे जहाँ की खुशियां तुम अपने साथ ले गए हों,  ऐसे मिले हम तुमसे,  जैसे जन्मों से बिछड़े हुए हो,  आकर मिले गले एक दूजे से,  सारे गिले शिकवे आसुओं में बह गए।। गरिमा Lucknavi

वृद्धावस्था

 जीवन की आपाधापी में, क्या खोया क्या पाया हमने,  आज चलो विचार करे मिल,  कितने पल हमने साथ बिताएं, तुम बच्चों के साथ व्यस्त रही,  हम उनके लालन पालन में,  कोई सुकून ना पाया हमने,  आज वहीं बच्चे हमे ना पूछते,  जीवन की सारी उम्र हम दोनों ने , उनके लिए समर्पण कर दी,  अब हमदोनों एक साथ  बैठ,  अपनी यादे ताजातरीन कर ले, जो कुछ जवानी में हमने खोया,  आज बुढ़ापे में हम हर हसरत पूरी कर ले,  हम उस दहलीज पर खड़े हुए हैं, कब कौन बिछुड़ जाए पता नहीं,  ए मेरे जीवनसाथी यू ही तुम,  सदा सदा साथ निभाना। । Garima Lucknavi

दर्द

 तेरे दर्द से अंजान नहीं हूं मै, अपने आसुओं को रोककर रखना,  दुनिया उन आसुओं का मज़ाक ना बना दे,  ईश्वर पर सदेव विश्वास रखना,  दुःख के काले बादल भी छट जाएंगे,  सूरज की रोशनी तुम्हारे जीवन में उजाला लाएगी,  चेहरे पर मुस्कान बनाए रखना,  आशा की अलख जलाये रखना,  हर कदम पर होगी जय कार तुम्हारी, अपने दर्द को  दिल में छुपा कर रखना,  दुख के बादल छट जाएंगे,  अपना विश्वास बनाए रखना, प्यार का अलख जलाये रखना,  हम साथ है तेरे हम कदम पर,  य़ह विश्वास बनाए रखना।। गरिमा लखनऊ