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शब्द

   शब्द मौन है, शब्द ही हंसाते हैं, शब्द ही रुलाते हैं, शब्द ही हमें बोलना सिखाते हैं। शब्दों से ही हम किसी के दुश्मन बनते हैं, शब्दों से ही हम किसी के मन में बनते हैं। शब्द ही तो है जो हमे गर्त में ले जाते हैं, शब्द ही हैं जो हमें गर्त से बचाते हैं। शब्द भगवान से मिलाते हैं, शब्द पापा का आशीर्वाद है, शब्द  मां का प्यार है, शब्द दोस्तों  का लाड है, शब्द भाई बहनों का प्यार है। शब्द स्वर्ग का रास्ता है, शब्द ही आधार है। तो ए मेरे दोस्तों! शब्दों को बोलने से पहले कुछ तो सोचो, शब्दों से किसी का दिल मत तोड़ो, शब्दों से प्यार भरा दिल जोड़ो।। गरिमा

याद आने लगी

तुम सब के जाने के बाद,  दीवारें भी रोने लगी, वो तेरी प्यारी सूरत  मेरे, दिल को बहलाने लगी, क्या हुआ जो धूप में तुम चमकने लगे, क्या हुआ जो वारिश में  बहकने लगे, गुजरा हुआ तुम्हारे साथ वो हसीन लम्हा, तेरी याद दिलाने लगा है,  क्या समय आया है, बिछड़ रहे सब बारी बारी, यादो का लम्हा गुजरता नहीं है,  आखों से अश्क रुकते नहीं है, जिंदगी वीरान सी लगने लगी है, सारी ख्वाहिश बिखरने लगी है, अब तो हंसी भी जैसे रूठ सी गई है, यादों का मेला लगने लगा है,  दिल तेरे याद में रोने लगा है।। गरिमा लखनवी

सजना गए परदेस

 सजना गए परदेस ना आया कोई भी सन्देश। सजन तुम भूल गए ! पिया क्यूँ  तुम दूर गये ? ना बीते अब दिन ये महीना । विरह  किये मुश्किल में जीना  । याद तुम्हारी नागिन बन के । डसती ह्रदय को घायल करके । शायद तुम अब रूठ गये  पिया क्यूँ  तुम दूर गये ।। नैना नदिया बन के बहते । शब्द अध खुले से रह जाते । कब आओगे साजन मेरे । दिल की बगिया रोज पुकारे । मन तेरे क्यूँ डोल गये । दिल मेरा क्यूँ तोड़ गये । मुरझाये मुरझाये मेरे  मन के सारे फूल गये । पिया क्यूँ तुम दूर गये ।। पिया क्यूँ तुम दूर गये ।। गरिमा