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पितरों को नमन

  पितर हमारे पूजनीय होते है, इनकी हम वंदना करते है, साल भर में एक समय आता है, जब आपको पूजा जाता हैं, जब कोई मर जाता हैं,  उसके बाद ही हम उसे क्यों याद करते हैं, जीते जी जिसका सम्मान ना कर सके, प्यार ना दे सके, मरने के बाद उस के लिए प्यार दिखाने से क्या होगा, पितर को देव तुल्य माना गया हैं, 40 दिन बाद पुनर्जन्म हो जाता है, हम किसकी पूजा वंदना करते हैं, जो फिर से इस दुनिया में आ गए, परंतु वह हमे दिखाई नही देते, पितर ही हमारे जीवन का आधार होते है, पितर के बिना घर सूना सा लगता है, पितर के पुण्य प्रताप से कीर्ती मिलती है, पितरों के आशीष से घर में सुख समृद्धि रहती है, सभी पितरों को मेरा कोटि कोटि प्रणाम।। गरिमा लखनवी

हिन्दी

                                हिन्दी की शान निराली है, अपने आप में मतवाली है, संस्कृत के साथ लाड लड़ाती है, सुंदर है, सुगम है, मीठी सी है, अपने आप में यह निराली है, ओजस्विता का संगम है, आपस में मैत्री बढ़ती है, साहित्य की साधना हिन्दी है, कवियों का गुरुर हिंदी है, किसी भाषा से इसको बेर नही, हिंदी सबको  अपना बना लेती है , मां शारदा की आराधना हिंदी है, सबसे महान हिंदी भाषा है, राष्ट्र के माथे की बिंदी है  हर  जगह हिंदी अपना वर्चस्व दिखाती हैं, भारत की शान ही हिंदी है।। गरिमा लखनवी