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दर्द भरी याद

कुछ सूखे पत्ते किताबों में मिले तेरी याद दिला  गए मेरे दिल की गहराइयो से पूछो कितना याद आते हो तुम  अब तेरे बिन रहा जाता नहीं  तुम से हम कितना प्यार करते है हर साँस  में तुम बसे  हो पास मेरे तुम थे लगता था सब कुछ है मेरे पास जल्दी से आ जाओ तुम मेरी हर धड़कन बुलाती है चाँद को जब देखती हूँ तो तुम्हारी याद आती है हमें बहुत तड़पाती  है खाव्बो में भी तुम आते हो मेरी नीड उड़ाते हो तुम्हारी यादो में के सिवा  कुछ याद नहीं अब आ जाओ तुम वापस मेरी हर हर साँस बुलाती है तेरी याद बहुत दर्द जागती  है गरिमा

नारी की कहानी

किस बात की पीड़ा है किस बात का डर है क्यों घबराती   हो छींटाकशी से ये तुम्हे सौगाते मिली है चरित्र और मर्यादा का ढोंग हमें ही करना है सारी  रीति रिवाज़ हमें ही निभाने है फिर भी हमें ही बदनाम किया जाता है पुरुष कुछ भी करे वो सब ठीक है नारी पर हो रहे अत्याचारों को नारी की गलती बतया जा रहा है इतिहास गवाह है नारी हर जगह ठगी गयी है चाहे वो जुआ हो या हो बाजार उसे क्यों सामान समझा जाता है ऐसे लगता है नारी केवल भोग की वस्तु है फिर क्यों देवी की पूजा करते है जो नियम बनाये वो एकतरफा हो गए नारी में भी दर्द होता है वो भी एक इंसान है गरिमा