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श्रमिक की व्यथा

 श्रमिक दिवस पर कुछ पंक्तियां श्रमिक की व्यथा कैसी होती है, दिन भर वह मेहनत करता है, फिर चार पैसे कमा पाता है, ज्यादा हो गर्मी या बरसात, हर रोज काम पर आता है। श्रमिक ना हो तो अनाज भी ना हो, सड़कें भी पक्की ना बने, श्रमिकों के हालात पर, किसी को रहम ना आता है। सब जगह खुशहाली होती है, श्रमिकों के ही कारण, धरती में हरियाली है, श्रमिकों के ही कारण। अगर श्रमिक ना हो तो, धरती बंजर हो जाएगी। फिर कहां से बढ़िया घर, दफ्तर बनाओगे। दुनिया का विकास हुआ, श्रमिकों के ही कारण। श्रमिक जी रहे तंगहाली में, उसकी सुध न कोई ले पाया। श्रमिक अपनी व्यथा जाकर किसको सुनाएं, अपने बच्चों के सपने  कैसे पूरा कर पाए। गरिमा लखनवी 

अंबेडकर जी की याद

  जिसने संविधान का उपहार दिया, ऐसे व्यक्तित्व का जन्म 14 अप्रैल को हुआ, अपने सोच से दी नयी दिशा, भेदभाव की सारी दीवार तोड दी, नये कालेजो का निर्माण कराया, शिक्षा का प्रचार-प्रसार कराया, अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया,  मतदान के प्रति जागरूक किया,  महिलाओं की शिक्षा पर जोर दिया, भारतीयों को शिक्षा का मूल मंत्र बताया,  जिंदगी में कभी निराश ना हुए,  आगे बढ़ने का पढ़ाया,  उनके ज्ञान को हम नतमस्तक करते हैं,  उनके चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम करते हैं।। गरिमा लखनवी

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम- भारतीय जीवन आदर्श

  मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जीवन आदर्श जीवन था। जिनका जीवन भारतीय संस्कृति एवं अध्यात्म का पर्याय था। श्री राम दशरथ के पुत्र थे, माता इनकी कौशल्या थी। पांच वर्ष की आयु में इनका यज्ञोपवीत संस्कार हुआ। उसके उपरांत विद्यारंभ हुआ, चारों भाई बचपन से ही विश्वामित्र के आश्रम में रहकर ब्रह्मचर्य की साधना करते थे। शिक्षा पूर्ण होने के उपरांत इनका विवाह राजा जनक की पुत्री सीता से हो गया। आदि कवि वाल्मीकि ने रामायण में लिखा है कि श्री राम की उम्र विवाह के समय 25 वर्ष एवं सीताजी की 18 वर्ष थी।      मर्यादा पुरुषोत्तम राम अविनाशी परमात्मा है। जो सबके सृजन हार एवं पालनहार है। श्री राम जी क्रोधित नहीं होते थे। वह मानवीय आत्मा की विजय के प्रतीक महापुरुष है, जिन्होंने धर्म और सत्य की स्थापना करने के लिए अधर्म एवं अत्याचार को ललकारा। अंधेरों में उजाले, असत्य पर सत्य, बुराई पर अच्छाई का प्रतीक बने। रामनवमी पर्व धर्म की स्थापना एवं बुराइयों के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक है।        भगवान श्रीराम ने आदर्श जीवन मर्यादा के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता यहां तक पत्नी का साथ छोड़ा। राम जी का परिवार आदर्श भारतीय