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गुरु की महिमा

  हम गुरु को प्रणाम करते है, हमको जो सही रास्ता दिखाएं, वही सच्चा गुरु होता है, भगवान से पहले गुरु ही, हमे रास्ता दिखाते है, जीवन के अंधेरों से,  उजाला की ओर लाते है, जीवन के संघर्षों से हमे, जीना सिखाते हैं, सही गलत हम  क्या कर रहे, हमको वह बतलाते है, शिष्यों के खुशी में, खुद ही खुश हो जाते है, हम कही भटक रहे हो, रास्ता वही दिखाते हैं, गुरु का कितना बखान करु, भगवान से वह मिलाते हैं, समस्त गुरु को मेरा शत शत नमन।। गरिमा लखनवी

संविदा कर्मियों का दर्द

  संविदा कर्मियों का दर्द कोई क्यों नहीं समझता दर्द हमारा हम भी इंसान हैं योगदान भी है हमारा सरकारी हो या निजी  कैसा भी हो दफ्तर हम काम कर रहे  बिना थक कर.   परमानेंट मौज ले रहे,  काम अपना थोप कर संविदा कर्मी पिस रहे  परमानेंट की धौंस पर  मुंह खोलना भी लाजिम नहीं फैसला हो जाता तुरंत कभी घट जाती सैलरी या नौकरी भी जाती रही  कौन समझेगा दर्द हमारा अधिकारी मस्त  संविदा कर्मी मिल गया सस्ते में मारा  हड़ताल की करो बात  तो मिल जाता है लॉलीपॉप कि जल्द ही करते हैं कुछ पर होता कुछ है नहीं  संविदा कर्मी घुट घुट कर जी रहा यूं ही सच बात तो यह है  दुगना काम कर भी  कुछ हासिल नहीं गर संविदा कर्मी ना हो तो ना चल सकता कोई ऑफिस हो जाएगी बहुत ही मुश्किल जो चले गए ये छोड़कर ऑफिस।। गरिमा लखनवी

रक्षाबंधन

 रक्षाबंधन रक्षा +बंधन से मिलकर बना हैं अर्थात एक ऐसा बंधन जो रक्षा का वचन ले इस दिन भाई अपनी बहन की उसके फर्ज का वचन अपने ऊपर लेते है रक्षाबंधन का पर्व सावन माह की पूर्णीमा को मनाया जाता हैं राखी एक ऐसा पर्व हैं जो भवनायो ओौर संवादनाओं से जुडा हैं भाई बहन ही नहीं अपितु गुरू शिष्य संतान अपनी माता पिता को राखी बांधकर उन्हे वचन दे सकते हैं कि वो उन्हे बढापे में वर्धाश्रम में अकेले नहीं छोडेंगे         श्रधा ओौर विश्वास से राखी का धागा बांधना चाहिए  ओौर उसके सभी दायित्व को पूरी निष्ठा के साथ पूरा करना चाहिए राखी का बन्धन प्यार के रिश्ते को मजबूत करने का बन्धन हैं  पूरे साल बहने इस त्योहार का इंतजार करती हैं राखी पर सारे गिले शिकवे दूर होते हैं राखी से प्यारा कोई त्योहार नहीं हैं राखी सभी रिश्तो में प्यार घोलने का काम करती हैं  जो भाई रूठे होते हैं  वो भी मान जाते हैं       कुछ लोग इसे अनाथ बच्चों को साथ  मनाते हैं उनको भी इस पर्व का महत्व समझाते हैं बच्चों में भी प्यार की भावना आती हैं वो भी रिश्तो को समझते हैं कुछ लोग पेडो को राखी बांधकर उन्हे वचन देते हैं कि हम पेड नहीं कटने देंगे पर्यव

पोता

  पोता जब इस दुनिया में आता है,  दादा दादी का बचपन लौट आता है, पोते की की मुस्कान में,  वह अपने सुख दुख भूल जाते हैं, उनके साथ खेलते हैं,  उनके साथ ही खाते हैं   वह  जब दादा-दादी की ऐनक निकाल कर खुद लगाता है,  दादा दादी को उसकी यह अदा बहुत लुभाती है,  पोते में अपना बचपन और ढूंढते हैं,  असल से सूद प्यारा होता है , पोता दादा का साथी होता है,   दादा पोता जब साथ होते हैं,  उनकी हर  हरकत मजेदार होती है,  दादा पोता का रिश्ता बहुत अनमोल होता है,  हर रिश्ते से अलग होता है,  दादा पोते को जिंदगी जीने का पाठ सिखाते हैं,  पोता दादा की जान होता है।।  गरिमा लखनवी

तीज

 आया तीज का त्यौहार,  दिल में उठे हर्ष अपार,  आओ सखियां तीज मनाए,  झूमे नाचे गाए बजाए,  झूम रहे हैं पेड पौधे देखो, काले काले बादल छाए, ऐसे में पिया की याद दिलाएं, हाथों में पिया के नाम की मेहंदी,   बहुत खूब रचाए,  सोलह सिंगार करके,  पिया जी के साथ हो,  धीमी धीमी बरसात हो,  झूले की सौगात हो, दोनों झूल रहे एक साथ हो,  जनम जनम का प्यार हो,  ऐसा भगवान का आशीर्वाद हो, आओ सखियों तीज मनाएं,  जीवन को खुशहाल बनाएं।। गरिमा लखनवी