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मेरे सपनों की गुल्लक

  सोचा आज अपने सपनों की गुल्लक खरीद लू,  उसमें में जहाँ भर की खुशियां भर लू,  जब कोई दुःखी हो तो उस पर वो खुशियां बिखेर दु,  कोई भी जहाँ में दुःखी ना हो,  मेरे सपनों के गुल्लक में मेँ हर खुशियो के पल चुरा कर रख लू,  जब किसी को जरूरत हो तो मेँ वो गुल्लक तोड़ दु,  जिंदगी बहुत अजीब पहेली है,  हर वो सपने जो मैने देखे हैं,  वो अपने गुल्लक मेँ कैद कर लू,  मेरे सपनों का कोई  रंग नहीं है,  मेँ  उन सपनों में रंग भर दु,  मेरे सपनों की गुल्लक अनमोल है, उसे कोई चुरा ना ले,  ऐसा जतन कर दु,  पैसे की गुल्लक तो सबकी होती हैं,  मेरी गुल्लक प्यार, एकता, अपनापन की है,  जो कहीं बाजार में मिलती नहीं,  मैने जो सपनों की गुल्लक ली,  वैसी गुल्लक कहीं मिलती नहीं।। गरिमा Lucknavi

करवाचौथ

   चाँद तुमको मेरी कसम, तुम जल्दी से आ जाना , में दिन भर अपने पति की लंबी उम्र के लिए, भूखी प्यासी रहती हूं,  तुम जिस पल खुश होते हो,  में सोलह शृंगार कर प्रिये,  तुमको में रिझाती हूं,  हर पल साथ तुम्हारा हो,  यही प्रार्थना करती हूं,  हर जन्म हो साथ तेरा,  चाँद में तेरा दीदार करने को, सुबह से इंतजार करती हूं,  ए चांद तुम जल्दी से आना,  मैं चलनी से सजना का दीदार करू, मेरा संसार तुम से है,  पूजा की थाल सजाकर में,  बैठी हूं हाथों में मेहंदी लगाकर, कर रही हूं चांद तेरा इंतजार,  आ जाओ जल्दी से तुम ।। गरिमा Lucknavi

जीवन का सच

  जीते जी किसी का सम्मान ना कर पाए,  तो मरने के बाद उसका गुणगान क्यों करते हैं,  जीवन छड़भंगुर है यह कोई समझ ना पाया,  क्या खोया क्या पाया इसी का आकलन करते रहे,  जीवन सुख दुःख का मिश्रण है,  जीवन परिवर्तन का नियम है,  जीवन को संवारना है,  जीवन को निखारना है,  जीवन फूल की तरह है,  पहले कल फिर फूल फिर मुरझा जाता है,  जीवन रंग मंच का मेला है,  सब आते है अपना किरदार निभाने,  लोग क्यों किसी की भावनाओं से हरदम खेलते हैं,  क्या सोचते हैं की दूसरे के दिल पर कुछ असर ना होगा,  वो पागल है जो दूसरों के लिए अपना समय बर्बाद करते हैं,  हम तो यारों, यारो की मस्ती में मस्त रहते हैं। । गरिमा

दीदार

 मुद्दतों से बड़ी तमन्ना थी मुझे तुमसे मिलने की, पर दिख ना रहा था रास्ता मुझे कोई मेरी ज़िन्दगी में, लेकिन गये क्या हम उनके दर पर, खुलते ही दरवाजा के हो गए दीदार उनके, दीदार होते ही नज़रे चार हुई,  आँखों ही आँखों में बात हुई, कुछ शिकवे तुम्हारे थे,  कुछ शिकवे हमारे थे,  क्यों चले गए थे जीवन से,  ऐसा लगता था मानो जिंदगी वीरान हो गई हो,  सारे जहाँ की खुशियां तुम अपने साथ ले गए हों,  ऐसे मिले हम तुमसे,  जैसे जन्मों से बिछड़े हुए हो,  आकर मिले गले एक दूजे से,  सारे गिले शिकवे आसुओं में बह गए।। गरिमा Lucknavi

वृद्धावस्था

 जीवन की आपाधापी में, क्या खोया क्या पाया हमने,  आज चलो विचार करे मिल,  कितने पल हमने साथ बिताएं, तुम बच्चों के साथ व्यस्त रही,  हम उनके लालन पालन में,  कोई सुकून ना पाया हमने,  आज वहीं बच्चे हमे ना पूछते,  जीवन की सारी उम्र हम दोनों ने , उनके लिए समर्पण कर दी,  अब हमदोनों एक साथ  बैठ,  अपनी यादे ताजातरीन कर ले, जो कुछ जवानी में हमने खोया,  आज बुढ़ापे में हम हर हसरत पूरी कर ले,  हम उस दहलीज पर खड़े हुए हैं, कब कौन बिछुड़ जाए पता नहीं,  ए मेरे जीवनसाथी यू ही तुम,  सदा सदा साथ निभाना। । Garima Lucknavi

दर्द

 तेरे दर्द से अंजान नहीं हूं मै, अपने आसुओं को रोककर रखना,  दुनिया उन आसुओं का मज़ाक ना बना दे,  ईश्वर पर सदेव विश्वास रखना,  दुःख के काले बादल भी छट जाएंगे,  सूरज की रोशनी तुम्हारे जीवन में उजाला लाएगी,  चेहरे पर मुस्कान बनाए रखना,  आशा की अलख जलाये रखना,  हर कदम पर होगी जय कार तुम्हारी, अपने दर्द को  दिल में छुपा कर रखना,  दुख के बादल छट जाएंगे,  अपना विश्वास बनाए रखना, प्यार का अलख जलाये रखना,  हम साथ है तेरे हम कदम पर,  य़ह विश्वास बनाए रखना।। गरिमा लखनऊ

तेरी बातें

   तेरी बातें मुझको लुभाती है,  जीने का अंदाज सिखाती हैं,  अगर कोई परेशानी जीवन में आ जाए,  सही राह हमको दिखाती हैं,  तेरी यादे मुझको तड़पाती है,  सावन में आग लगाती है,  तेरी मुस्कराहट मेरे सारे ग़म भुलाते है, तेरी आँखों में मैने प्यार के समुंदर देखे हैं,  उन समुंदर में डूब जाना चाहती हूं,  तेरे लिए मेरी चाहत कभी कम नहीं होगी,  उन चाहतों में डूब जाना चाहती हूं,  तेरी बातें मुझको वो सब याद दिलाती है,  जिन को याद कर उन्हें दोहराना चाहती हूं,  चाँद को देखकर मुझे तुम याद आती हो,  उस चांदनी में मै डूब जाना चाहती हूं,  तेरी बातें मुझको लुभाती है  जीवन के कई रंग याद दिलाती हैं, गरिमा Lucknavi

करगिल दिवस

  26 जुलाई को हम करगिल दिवस मनाते हैं, आओ हम सब मिलकर उन वीर जवानों को याद करे, जिन्होंने करगिल की चोटी पर झंडा फहराया था,  क्या कहें उन बहनो को, जिनकी राखी खाक हो गयी,  उन माँ की क्या व्यथा कहूँ, जिनकी गोद सूनी हो गयी , क्या कहूँ उन दुल्हन को, जिनकी सेज युद्ध भूमि हो गई,  अगर जवान ना सीमा पर डटे रहे,  तभी चैन से हम सोते हैं,  जाड़ा गर्मी हो या बरसात,  सीना ताने खड़े रहते हैं,  बर्फ हो या रेगिस्तान,  दुश्मन के दांत खट्टे कर दिए,  नमन है उन वीर जवानों को,  जिनके हाथों में हम सुरक्षित है,  मेरा शत शत प्रणाम है जवानों को ।। गरिमा लखनवी

हवा का झोंका

  तेरी यादों को लेकर एक हवा का झोंका आया, पूरे तन मन को सहला गया है, हवा का झोंका कह रहा हो, मैं तुम्हें तुम्हीं से चुरा ले जाऊँगा, उड़ा ले जाऊँगा तुम्हें इतनी दूर, जहाँ पर सकून के दो पल हो, जहाँ हम हो और तुम हो, एक ऐसे जहाँ में, जहाँ चारो ओर प्यार ही प्यार हो, हवा का झोंका मेरे मन मस्तिष्क को ताजगी दे रहा हो, हवा का झोंका मानो मुझसे बातें कर रहा हो,  तुम्हारी लट गालों पर कितनी खूबसूरत लग रही है, तुम इस जहाँ में खुशिया बिखराओ, तुम रोते हुए लोगों को हसाओ, हवा का झोंका तेरी यादों को लेकर संग आया है। । गरिमा लखनवी

सावन

   सावन की बूंदे मन को हर्षा रही हैं , ऐसे मैं तेरी याद मुझको तड़पा है,  बादल से बूंदे धरती पर टपक रही है,  पूरी पृथ्वी मानो हरी-भरी हो गई हो,  मेरे हाथों की हरी हरी चूड़ियां,  साजन को प्रदेश से बुला रही है,  बादलों ने जो कहर ढाया है,  सब जीवो को नया जीवन दे रही हो,  छोटी छोटी नदियां जो घर के आगे बन गई हैं,  उन पर कागज की नाव गोरी चला रही हूं,  खेत खलियान जो सुख रहे थे,  उन पर बादलों की बूंदे शीतलता दे रही हूं,  सजन तुम आ जाओ ऐसे मौसम में,  मेरा सोलह सिंगार तुम्हें बुला रहा है,  सावन के भीगे भीगे पल,  मुझे हर पल तेरी याद दिला रहा है।  गरिमा लखनवी

योग दिवस

   आओ हम सब योग करे, अपनी जिंदगी को निरोग करे, तन मन स्वस्थ रहे हमारा, आओ यह संकल्प करे, ऋषि मुनियों ने समझाया, फिर भी हमको समझ ना आया, शरीर योग  से स्वस्थ रहे हमारा, यह हमको अब समझ में आया, मानव मन को समझाना होगा, योग की अलख जलाना होगा, सबको योग का महत्व समझाना होगा, इसमे ना कोई खर्चा ना कोई जीम , पार्क या घर पर चटाई बिछा कर, योग करे सब मिलजुलकर, जीवन मिला बड़े नसीब से, इसका भी ध्यान रखें हम, योग दिवस का करे सम्मान, यही बिडम्बना है हम सब की, हमने योग बहुत बाद में अपनाया, योग दिवस की बहुत बहुत बधाई। । गरिमा लखनवी

पिता जीवनदाता

   पिता  जीवनदाता होते है, माँ की तरह प्यारे होते है,  माली की तरह सीचा हमको,  सब दुखो से बचाकर रखा हमको,  जैसे  पॊधो  को माली सम्हालते है, वैसे पिता हमें सम्हालते है, पिता हर बात हमारी पूरी करते हैं,  अपने भूखे रहकर भी वो पेट हमारा भरते है, पिता दुखो की परछाई भी हम पर  पड़ने नहीं  देते हैं,  पिता से ही बच्चो  का दुलार है, पिता से हर त्यौहार है पिता से ही माँ का सुहाग है, पिता से ही जीवन का  संचार है, पिता नहीं तो जीवन अनाथ है, पिता भगवान के बाद दूजा नाम है, पिता नहीं तो जीवन बेकार है, पिता ही जीवन की साँस है, पितृ दिवस पर उनको कोटि कोटि प्रणाम है। । गरिमा लखनऊ

कारगिल दिवस

 उस दिन की याद ताजा हो गई,  जब मेरे बेटे का शरीर तिरंगे मे लिपटा हुआ आया था,  उस तिरंगे के कोने में एक खत पाया था,  मा तुम रोना नहीं तुझे कसम है मेरी,   बहना से कहना तेरा भाई कब्र पर सो रहा है,  वहाँ जाकर राखी बांध कर आ जाना, मैं वापस आऊंगा देश की रक्षा करने के लिए,  हम जो चैन से सोते हैं,  भारत मां के सपूत रोते हैं,  हर मां धन्य हो गई तुम्हें पाकर, हर जवान देश पर कुर्बान हो गए  , झुक गया है देश मा की महानता के आगे, बेटे की हिम्मत को भारत मा भी नमन कर रही हैं,   हर बहन धन्य हो गए तुम्हारे जैसा भाई पाकर,  हजारों बहनों की इज्जत बचाई, हर पिता का सीना गर्व से भर गया,   दुश्मन को बता दिया हम कितने फौलाद हैं,  हर दुश्मन ढेर हो गया कारगिल जाकर,  कश्मीर नहीं देने देंगे हम उनको,  हर पाकिस्तानी जान गया कारगिल युद्ध के बाद,  भारत में शेर रहते हैं उनसे पंगा लेना आसान नहीं है ।। गरिमा लखनवी

ऐ दोस्त

बेवजह क्यों मुस्करा रहे हो तुम, कौन है जिसके पास जा रहे हो तुम, हमसे क्या ख़फ़ा हुई ऐ दोस्त, हमारी महफिल छोडकर जा रहे हो तुम, हमने तो तुमको अपना समझा था, बेगाना कर चल दिये तुम, जीवन की हर शाम तुम्हारे साथ बिताएंगे, ये वादा भी निभा ना सके तुम, क्या क्या सपने देखे थे साथ मिलकर, एक को भी पूरा ना कर सके तुम, ऐ दोस्त तुम बहुत अनमोल हो, मेरी जिन्दगी के हसीन पल हो तुम, बेवजह क्यों मुस्करा रहे हो तुम, कौन है जिसके पास जा रहे तुम। । गरिमा लखनवी

सुनहरे ख्वाब

सुनहरे ख्वाब शीशे की तरह होते हैं, झूठे रिश्तो को कब तक निभाएंगे, मीठी यादें हमको तड़पाएगी, तकिए के किनारे भिगोएयेगी, एक दिन टूटेगा भ्रम का जाल, मस्त माल नहीं करती हूं सारे सुनहरे ख्वाब टूट जाएंगे। रिश्तो की डोरी मजबूत बांधी है, एक दिन पर्दा उठेगा, और जो टूट जाएगी। फिर क्या करेंगे उन उन सुनहरे ख्वाबों का, जो आज हम बुन रहे हैं। आंख खुल गई और ख्वाब टूट गया, सुनहरा ख्वाब है हमारा, रिश्तो में हमेशा मिठास रहे, हर तरह फंसी का माहौल रहे, आंख खुली तो देखा, सुनहरा ख्वाब टूट के बिखर गया।। गरिमा लखनऊ

अम्बेडकर की कहानी

  14 अप्रैल 1891 को महू छावनी में जन्म लिया, अपनी माता की गोद को धन्य किया, बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, कई उपलब्धियां हासिल की, भारत माता की स्वतंत्रता के लिए , सराहनीय योगदान रहा, 2 साल 11 माह 18 दिन में संविधान रचकर, एक नया इतिहास बनाया, धर्म जाति से ऊपर उठकर, धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाया, बौद्ध धर्म को अपनाकर, बौद्ध धर्म की दीक्षा ली, दलित पिछड़ों में दीप जलाकर, मानवता का पाठ पढ़ाया, ऐसे महापुरुष जिसने भारत को नयी दिशा दी, युगपुरुष कहलाते है,  पंक्तियाँ भी कम है ऐसे महापुरुष का गुणगान करने  को , ऐसे महापुरुष को मेरा शत शत नमन। । गरिमा लखनवी

विदाई

 सूना है कॉलेज और सूना है क्लासरूम  आपकी आदत से हम सब है मजबूर  आपकी याद जो आती है हमको तड़पती है  कौन देगा अब हमको पढ़ाई के लेक्चर  आप जो चली गई जीवन सूना हो गया  आपकी याद जो आती हैं हमको तड़पती है  आपकी वो बातें आपकी वो अदाएं हमे याद आयेंगी सुहानी वो यादे  दिल रोरहा है आखें भी है नम आपकी विदाई सबकी है आखें नम  सूना है कॉलेज और सूना है क्लासरूम  आपकी आदत से हम सब है मजबूर

होली

  रंगों का त्योहार है होली, खुशियों की सौगात है होली, मा पिता का प्यार है होली, बच्चों की शरारत है होली। पकवानों का स्वाद है होली, महिलाओं का गीत है होली, भांग की गोली है होली, फूलों से खेली जाती है होली। कान्हा राधा का प्यार है होली, दोस्तों का प्यार है होली, दुख को सुख में बदलना है होली, उल्लास की बात है होली। दुआओं का रंग है होली, बड़ों का आशीर्वाद है होली, पति पत्नी का प्यार है होली, नफरत को प्यार में बदलती है होली। प्यार के रंग में रंग की है होली, आओ मिलकर खेले होली।। गरिमा

कविता दिवस

   कविता क्या है, ये आज तुमको बताती हूं,  कविता प्यार की परिभाषा है,  कविता श्याम राधा का प्यार है, कविता कवि की कलम से निकली उसकी आवाज है,  कविता अमन है चयन है,  कविता मां पिता का प्यार है, कविता लैला मजनू हीर रांझा है,  कविता सम्मान है,  कविता चाहत है,  कविता गुस्से को शांत करने की दवा है, कविता रोते के चेहरों पर खुशी है , कविता जिंदगी है,  कविता जीने का सबक है,  कविता लोगों की खुशियां है।। गरिमा Lucknavi

महिला दिवस

महिला दिवस पर ही क्यों महिला को याद किया जाता है?  महिला को कमजोर न समझो  ये तो एक चिंगारी है  हर युग में महिला ने ही सम्हाली जिम्मेदारी है  घर हो या दफ्तर हो या फिर हो कोई भी हो जिम्मेदारी  कभी सास तो कभी बहु बन  लेती हर जिम्मेदारी है  कैसी बिडंबना है  महिला को सिर्फ एक ही दिन याद किया जाता है  महिला नहीं है तो जग सूना है  महिला से होती हर पूजा है  महिला है तो रौनक है  महिला है तो सब कुछ है  फिर भी अत्याचार उन्ही पर होता  वो सह लेती है सारा दुःख  फिर भी हसती  रहती है  जीवन का वरदान है महिला  हर एक शान है महिला  भगवान भी शक्ति मानते महिला को  फिर इंसान क्यों उसे छोटा समझता है  महिला का भी अपना अस्तित्व है  इसको क्यों नहीं मान लेते  महिला दिवस पर ही याद कर लेने से  नहीं होगा सम्मान उसका  महिला को देना होगा हर दिन सम्मान  गरिमा लखनवी

धोखा

  जीवन में बहुत धोखे मिलते हैं, जिन्दगी ही धोखा लगने लगती हैं, अब क्या शिकायत करू तुझसे ए जिन्दगी, हर समय हमे धोखा ही मिला, हमने दोस्ती की तो लगा एक सच्चा दोस्त हमे मिला, उसने भी अपने स्वार्थ के लिए दोस्ती की, हमे बीच रास्ता में धोखा देकर चला गया, हमने प्यार किया वो भी धोखा देकर चला गया, अब किस पर ऐतबार करे, धोखा खाकर तबीयत भी खराब कर ली, हॉस्पिटल गए तो जिन्दगी ने धोखा दे दिया, यमराज के पास गए तो वहा भी धोखा मिला, आना किसी और को था और धोखे से हम आ गए। । गरिमा लखनवी

शिव की,महिमा

शिव  जी बहुत भोले है,  भोले भंडारी कहलाते है उनकी  महिमा है निराली  सबके दुःख  हरते है लोगो को सुख देकर बाकी  विष वो पीते है सब  तेरे दर्शन को तरसे सब तुझसे मिलने को आये कहा है भोले दर्शन दो देश में हो रहा अत्याचार, मिटा दो अंधकार क्यों बेबस है जनता क्यों नहीं पीते   विष  प्याला विष है धन,  जिसने छीना अमन चैन हर कोई एक दुसरे का प्यासा कहा गया वो भाईचारा शिव तेरे इस संसार में बहुत हो गए रावण अब लो फिर से अवतार तुम हो सके फिर भाईचारा तुम ही मिटा सकते हो  अँधियारा भोले तुम हो कहा

मेरी आदत

आपको याद करना मेरी आदत बन गई है, आपसे बातें करना मेरी आदत बन गई है। आपको दिन रात चाहना मेरी आदत बन गई है, आपसे डांट खाना मेरी आदत बन गई है। आपसे मिलना मेरी चाहत बन गई है, आपके आगोश में डूब जाना मेरी आदत बन गई है। आपकी परछाई से भी प्यार करना मेरी आदत बन गई है, आपके साथ बरसात की बूंदों में भीग जाना मेरी आदत बन गई है, आपके प्यार में डूब जाना मेरी आदत बन गई है।। गरिमा लखनवी

प्रकृति

 प्रकृति कुछ कहना चाहती है मुझसे, हवा की सरसराहट, पक्षियों की चहचहाहट, नदियों का शोर, बारिश का उल्लास वातावरण, मेरे मन को प्रफुल्लित कर्ता है, ऐसा लगता है मानो प्रकृति कुछ कहना चाहती हो मुझसे, बारिश की बंद से बातें करने का मन कर्ता है , चांदनी रात का मदमस्त वातावरण, मुझसे बातें कर्ता है, चांदनी की शीतलता मुझे सुकून देती हैं, सूरज का ताप हमेशा हौसला देता है, प्रकृति ने बहुत कुछ सिखाया है हमको, नदियों ने शांत रहना सिखाया है हमको, हवा ने मधुरता सिखाया है हमको, तूफानों ने लादना सिखाया है हमको, प्रकृति बहुत कुछ सिखाती है हमको, प्रकृति और जीवन में बहुत समानता है, प्रकृति हमे लड़ना सिखाती हैं, प्रकृति जीवन हमे जीना सिखाती हैं। । गरिमा Lucknavi 

आया बसंत

     हर तरफ छाया है बसंत की खुमार, चारों ओर फैला है खुशियों का वातावरण,  जाड़े से गर्मी की और प्रकृति जा रही हैं, हर तरफ सरसों का पीला वातावरण है, मानो धरती माँ ने धानी चुनर ओढ़ रखी है, बागों में चिड़िया चहक रही हैं, आम की बोर की खुशबु चारो ओर बिखरी है,  कलियों  ने भी आखे खोली , नई उमंग के साथ प्रकृति इठलाते, सूरज ने भी गर्मी दे दी , हर जगह लाल पीले फूलो की चादर  बिछी हुई  लगती है , मौसम भी मजे ले रहा है,  हर तरफ उजाला हो रहा है,  बसंत के मौसम में हर कोई,  प्रक्रति में खो जाना चाहता है,    हर कोई उल्लासित है,  बसंत के मौसम में , चारो ओर धुन्ध हट रही हैं, वैसे ही सबके दिलों से , नफरत की धुन्ध हट जाए, सबके दिलों में प्यार की बरसात हो, बसंत आया मदमस्त समा लाया। । गरिमा लखनवी

गणतंत्र दिवस

   गणतंत्र दिवस आ गया, हर्षोल्लास हो गया,  चारों और धूम मची, हर गली में नारा गूंज गया।pp  प्रभात फेरी का दौर चला, हर भारतीय में जोश बढ़ा, भारतीय संस्कृति की चुनर ओढ़, चल पड़े सब नर नारी,  तिरंगे की धूम मची, भारत माता की जय के नारे गूंजे,  गणतंत्र दिवस आ गया हर्षोल्लास छा गया। नवपरिधान बसंती रंग का, भारत माता आयी हैं, रंग-बिरंगे फूलों से, मां का आंचल सजाया है। हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सबने शान बढ़ाया है, वीरों ने इसकी रक्षा में अपना रक्त बहाया है, आओ मिलकर हम तिरंगा फहरायें झूमें नाचें गाएं बजाएं, गणतंत्र दिवस आ गया हर्षोल्लास छा गया।। गरिमा लखनवी

मकर संक्रांति पर पतंग की बातें

  आओ ऐसी पतंग बनाए, जिसको चारों और लहराए, विश्व शांति का पाठ पढ़ाई , प्यार  का संदेश फैलाये, तिल के लड्डू सबमें बातें, खिचड़ी सबके साथ मिलकर खाए, आओ ऐसी पतंग बनाए, पतंग जो उड़े आसमान में , सुख शांति का संदेश बिखरे, हर ओर बिखरी सुगंध हो, तिल गुड़ का मेल हो, मकर संक्रांति के दिन, सूरज मामा आखें खोलते हैं, हर कली मुस्कुराती है, आओ एक ऐसी पतंग बनाए, जिसकी डोर इंसानो को बांधे, हर रिश्ते को मजबूत बनाए, परिवार को समझे जाने, हर बंधन को बांध कर रखे, आओ एक ऐसी पतंग बनाए। । मकर संक्रांति की शुभकामनाएं  गरिमा Lucknavi