स्वप्न बिकते है
स्वप्न बिकते है बोलो खरीदोगे,
कोई रोजगार का स्वप्न बेचता,
नेता गरीबी हटाने का स्वप्न बेचता,
साधू स्वप्न बेचता है भगवान को पाने का,
कहते है कई लोग हम आपको,
बना देंगे अमीर,
हर कोई स्वप्न में डूबा है,
अभी चुनाव आ रहे है,
नेता महगाई कम करने का स्वप्न बेचता,
सब को यही लालच है,
हम बन जाये अमीर,
कोई काम नहीं करना चाहता,
कंपनी कहती है मेरा सामान खरीदो,
तुम्हे मिलेगा सोना का सिक्का,
पर जनता मूर्ख है,
वो ये नहीं समझती,
कोई अपने घर से कुछ नहीं लाता,
स्वप्न बिक रहे है,
सब सपनो में जीते है,
क्या होगा नोजवानो का,
जो इन दिवास्वप्न में जीते है,
स्व्प्न बिकते है बोलो खरीदोगे।।
गरिमा लखनवी
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