ऐ दोस्त


बेवजह क्यों मुस्करा रहे हो तुम,
कौन है जिसके पास जा रहे हो तुम,
हमसे क्या ख़फ़ा हुई ऐ दोस्त,
हमारी महफिल छोडकर जा रहे हो तुम,
हमने तो तुमको अपना समझा था,
बेगाना कर चल दिये तुम,
जीवन की हर शाम तुम्हारे साथ बिताएंगे,
ये वादा भी निभा ना सके तुम,
क्या क्या सपने देखे थे साथ मिलकर,
एक को भी पूरा ना कर सके तुम,
ऐ दोस्त तुम बहुत अनमोल हो,
मेरी जिन्दगी के हसीन पल हो तुम,
बेवजह क्यों मुस्करा रहे हो तुम,
कौन है जिसके पास जा रहे तुम। ।
गरिमा लखनवी

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