सुनहरे ख्वाब
सुनहरे ख्वाब शीशे की तरह होते हैं,
झूठे रिश्तो को कब तक निभाएंगे,
मीठी यादें हमको तड़पाएगी,
तकिए के किनारे भिगोएयेगी,
एक दिन टूटेगा भ्रम का जाल,
मस्त माल नहीं करती हूं सारे सुनहरे ख्वाब टूट जाएंगे।
रिश्तो की डोरी मजबूत बांधी है, एक दिन पर्दा उठेगा,
और जो टूट जाएगी।
फिर क्या करेंगे उन उन सुनहरे ख्वाबों का,
जो आज हम बुन रहे हैं।
आंख खुल गई और ख्वाब टूट गया,
सुनहरा ख्वाब है हमारा,
रिश्तो में हमेशा मिठास रहे,
हर तरह फंसी का माहौल रहे,
आंख खुली तो देखा,
सुनहरा ख्वाब टूट के बिखर गया।।
गरिमा लखनऊ
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