महिला दिवस
महिला दिवस पर ही क्यों महिला को याद किया जाता है?
महिला को कमजोर न समझो
ये तो एक चिंगारी है
हर युग में महिला ने ही सम्हाली जिम्मेदारी है
घर हो या दफ्तर हो या फिर हो कोई भी हो जिम्मेदारी
कभी सास तो कभी बहु बन
लेती हर जिम्मेदारी है
कैसी बिडंबना है
महिला को सिर्फ एक ही दिन याद किया जाता है
महिला नहीं है तो जग सूना है
महिला से होती हर पूजा है
महिला है तो रौनक है
महिला है तो सब कुछ है
फिर भी अत्याचार उन्ही पर होता
वो सह लेती है सारा दुःख
फिर भी हसती रहती है
जीवन का वरदान है महिला
हर एक शान है महिला
भगवान भी शक्ति मानते महिला को
फिर इंसान क्यों उसे छोटा समझता है
महिला का भी अपना अस्तित्व है
इसको क्यों नहीं मान लेते
महिला दिवस पर ही याद कर लेने से
नहीं होगा सम्मान उसका
महिला को देना होगा हर दिन सम्मान
गरिमा लखनवी
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