मुंशी प्रेमचंद जी


आप आज होते तो बहुत दुखी होते, 
जन्म लिया आपने बड़े हर्ष की बात, 
साहित्य में अपना नाम रोशन कर गये,
आपने साहित्य जगत को एक मंच दे दिया,
जिन्दगी एक नाटक है आपने सिखा दिया,
पूस की रात का आपने व्याख्यान किया,
आपने जिन्दगी में सही गलत अपने नाटकों से सिखा दिया, 
आप की कमी हमेशा खलेगी, 
कहाँ चले गए आप साहित्य की दुनिया छोडकर, 
आ जाइए फिर इस दुनिया में, 
आपके के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम है। ।
गरिमा लखनवी

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