याद आने लगी


तुम सब के जाने के बाद, 

दीवारें भी रोने लगी,

वो तेरी प्यारी सूरत  मेरे,

दिल को बहलाने लगी,

क्या हुआ जो धूप में तुम चमकने लगे,

क्या हुआ जो वारिश में  बहकने लगे,

गुजरा हुआ तुम्हारे साथ वो हसीन लम्हा,

तेरी याद दिलाने लगा है, 

क्या समय आया है,

बिछड़ रहे सब बारी बारी,

यादो का लम्हा गुजरता नहीं है, 

आखों से अश्क रुकते नहीं है,

जिंदगी वीरान सी लगने लगी है,

सारी ख्वाहिश बिखरने लगी है,

अब तो हंसी भी जैसे रूठ सी गई है,

यादों का मेला लगने लगा है,

 दिल तेरे याद में रोने लगा है।।

गरिमा लखनवी

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