सजना गए परदेस
सजना गए परदेस
ना आया कोई भी सन्देश।
सजन तुम भूल गए !
पिया क्यूँ तुम दूर गये ?
ना बीते अब दिन ये महीना ।
विरह किये मुश्किल में जीना
।
याद तुम्हारी नागिन बन के ।
डसती ह्रदय को घायल करके ।
शायद तुम अब रूठ गये
पिया क्यूँ तुम दूर गये ।।
नैना नदिया बन के बहते ।
शब्द अध खुले से रह जाते ।
कब आओगे साजन मेरे ।
दिल की बगिया रोज पुकारे ।
मन तेरे क्यूँ डोल गये ।
दिल मेरा क्यूँ तोड़ गये ।
मुरझाये मुरझाये मेरे
मन के सारे फूल गये ।
पिया क्यूँ तुम दूर गये ।।
पिया क्यूँ तुम दूर गये ।।
गरिमा
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