नया साल
नया साल आने को है,
पुराना साल जाने को है,
कैसी विचित्र सी बात है—
पुराने के जाने का ग़म मनाएँ
या नए के आने की ख़ुशी में मुस्कराएँ।
पुराने साल के जाने का दर्द है,
क्योंकि उससे जुड़ी अनगिनत यादें हैं,
कुछ हँसी, कुछ आँसू,
कुछ अपने, कुछ छूटे हुए सपने हैं।
नए साल की ख़ुशी इसलिए है,
कि वह ढेरों खुशियाँ लाने वाला है,
नई उम्मीदें, नए अरमान,
जीवन को फिर से सजाने वाला है।
आओ, नए साल का स्वागत करें,
खुशियों की सौगात को अपनाएँ,
पुराने का दुःख तो रहेगा ही,
क्योंकि यही जीवन का नियम है—
जो आता है,
उसे एक दिन जाना होता है।
गरिमा लखनवी
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