नारी सहने का नाम नहीं
नारी सहने का नाम नहीं है,
नारी जननी है,नारी रक्षक है,
अगर नारी न
यह दुनिया बेगानी है,
फिर भी क्यों होते जुल्म होते नारी पर
पुरुषो का शिकार बनती है नारी
पर फिर भी सहती है
माँ, बेटी, बहन, भाभी
है अनेको रूप इसके
नारी को जाता है पूजा पूजा
फिर भी कलयुग में रहे है
सितम इस पर
क्या जन्म इसलिए है नारी का
इसे सताया जाये जलाया जाये
कब तक सहेगी नारी
क्यों भगवान ने बनाया
सहनशील नारी
नारी सहने का नाम नहीं है
अब एक चिंगारी है नारी
ब
नारी जननी है,नारी रक्षक है,
अगर नारी न
यह दुनिया बेगानी है,
फिर भी क्यों होते जुल्म होते नारी पर
पुरुषो का शिकार बनती है नारी
पर फिर भी सहती है
माँ, बेटी, बहन, भाभी
है अनेको रूप इसके
नारी को जाता है पूजा पूजा
फिर भी कलयुग में रहे है
सितम इस पर
क्या जन्म इसलिए है नारी का
इसे सताया जाये जलाया जाये
कब तक सहेगी नारी
क्यों भगवान ने बनाया
सहनशील नारी
नारी सहने का नाम नहीं है
अब एक चिंगारी है नारी
ब
टिप्पणियाँ
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (28-11-2013) को "झूठी जिन्दगी के सच" (चर्चा -1444) में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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Komal hai kamjor nahi tu, shakti ka naam hi naari hai :)
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