नीद आती है
हम सो जाते है
खो जाते है
प्यारे से खाबो में
खाब जो कभी सच  नहीं होते,
या होते है
हम कुछ कह नहीं सकते
नीद आने के बाद
मिलाता है सुकून
भूल जाते है हम
सरे अपने गम
एक नीद और होती है
जिसमे शरीर सिथिल हो जाता है
और atma एक
शरीर छोड़ दूसरे में प्रवेश कर जाती है
वो शरीर थक जाता है
इतना की कभी उठाना नहीं chaata
नीद और सुकून के साथ
होता है बहुत  pyara 
      


 

टिप्पणियाँ

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…
बहुत बढ़िया।


सादर

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