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नौसेना दिवस

 समंदर की लहरों का जो रखवाला है, वो भारत मां का शौर्य, उसका उजाला है। 5600 वर्षों का गौरवशाली इतिहास लिए, नौसेना ने देश का मान संभाला है। सभ्यता के प्रहरी, संस्कृति के रक्षक, हर तूफ़ान में डटे, सीमाओं के संरक्षक। नौसेना दिवस हमारे गर्व का सम्मान है, वीरों के साहस का अमर गान है। 1971 की विजय का स्वर्णिम अध्याय, जहाँ पर शौर्य ने दिखाया असली आकार। वह जीत आज भी राष्ट्र का शौर्यगान है, भारत का सीना गर्व से विस्तृत आसमान है। INS खुखरी का बलिदान नहीं भूलेगा देश, हर जलधारा में उसकी गूँज रहे विशेष। उसका साहस, उसकी जंग की दिलेरी, आज भी नौसैनिकों की प्रेरणा बनी खड़ी है। हमें अपनी नौसेना पर गर्व महान है, ये राष्ट्र का गौरव है, यही पहचान है। शत-शत नमन उन वीरों को, जो समंदर की लहरों पर लिखते विजय की दास्तान हैं।  गरिमा लखनवी

पाक सेना का आत्मसमर्पण

16 दिसंबर की सुबह गवाही देती है, जब दुश्मन के 93,000 सैनिक हथियार डालते हैं, वह दिन विजय दिवस बनकर हर भारतीय की धड़कन में बजता है। भारत माता के वीर सपूत, आज भी सीना ताने खड़े हैं— उनकी रगों में शौर्य बहता है, उनकी नज़रों में तिरंगा लहरता है। पर पाक अपने छल से नहीं सुधरता, वह भूल जाता है— कि भारत की शांति कमजोरी नहीं, बल्कि संयम की सीमा है। ऐ रणबांकुरो, उठो! माँ भारती ने हुंकार भरी है, बहुत सह लिया निर्दोषों का लहू, अब प्रतिकार की बारी है। कितने सपने अधूरे सो गए, माताओं की गोद उजड़ गई, बहनों की आँखें नम हो गईं, अब यह ऋण चुकाने की घड़ी है। शांति की भाषा जिसे सुनाई नहीं देती, दया का मोल जो समझता नहीं, उस पर दया कैसा? जिसने देश की गोद को श्मशान बनाया है। अब समय आया है— उसे उसकी हकीकत दिखाने का, क्योंकि इतिहास लिखता है, भारत सिर्फ लड़ता नहीं, भारत जीतता है… और विजय दिवस मनाता है ।। गरिमा लखनवी