आंखें
तुम्हारी आंखें बहुत नशीली हैं,
उसमें डूब जाने को मन करता है,
तुम्हारी आंखों से संसार देखने का मन करता है,
तुम्हारी आंखों में मैंने गहरा प्यार देखा है,
तुम्हारी आंखों में मैंने अपने लिए चाहत देखी है,
तुम्हारी आंखों में मैंने डर भी देखा है,
अगर मैं न मिली तो क्या होगा,
तुम्हारी आंखें आज नम क्यो हैं,
तुम्हारी आंखें क्या क्या कह गई,
तुम्हारी आंखों में मैंने सपने देखे है,
तुम्हारी आंखें मुझे मदहोश बनाती है,
तुम्हारी आंखें जीना सीखाती है,
तुम्हारी आंखें जीवन के रहस्य बताती है,
तुम्हारी आंखें ही मेरा जीवन है।।
गरिमा लखनवी
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