संदेश

मेरा चाँद मुझ को नजर आया है

ए चांद तुम धरती पर जल्द आ जाओ,  में सज सवर के तेरा इन्तज़ार करती हूं,  तन मन से मै अपने पिया की मनभावन बाते सुनती हूं,  साल की खट्टी मीठी बातें याद करती हूं,  चाँद के आगोश में बिताए वो सुनहरे पल,  उन पालो को याद कर यही प्रार्थना करती हूं, मेरा चांद रूपी पति हर पल मेरे पास रहे,  मैने उनके लंबी उम्र के लिए व्रत किया है,  पूजा की थाल सजाकर तेरा इन्तज़ार करती हूं,  हर पल हर घड़ी तेरा अह्सास मेरे दिल में है,  जब मै अपने पति के लिए सजती संवरती हूं,  चाँद का दीदार कर पिया के हाथो पानी पीती हूं,  हर पल यही दुआ है हर जन्म में तेरा साथ हो,  सदा सलामत रहे हैं मेरा सिंदूर यही दुआ है अपने चांद से,  मेरी जिन्दगी हर साँस मेरे पिया का है,  मेरा चांद मुझे आया है नजर।। गरिमा लखनवी

यादे

   ये तुमने क्या कह दिया, तुम मुझे याद नहीं करते हो, मेरे दिल के टुकड़े कर दिए, कितने सपने देखे थे हमने,  एक पल में चकनाचूर हो गये,  कहा था तुमने हर बार मुझसे,  साथ कभी छोड़ूंगा नहीं तुम्हारा,  आज लगता है रब भी मुझ से रूठ गया,  जिसे मैने अपना माना,  वो ही दिल को तोड़ गया,  क्या कहु ए दिल तुमसे,  अपने होठों पर मुस्कान ला,  और फिर से याद कर उस रब को,  वहीं सही रास्ता दिखाएगा तुझको।। गरिमा

शास्त्री और गांधी

शास्त्री और गांधी कहा गए, आज आपकी जरुरत फिर भारत माँ  को है, हर तरफ अराजकता का  बोलबाला  है , न शांति है न चैन है माँ के आँचल में, भारत माँ  ढूंढ रही अपने सपूतो को, शास्त्री और गांधी फिर आ जाओ भारत में,  आज आपका जन्मदिन है, इस दिन  भी  अमन चैन नहीं है, मानवता खत्म हो गई इस दुनिया से,  सब एक दूसरे के खून के प्यासे है, पीडितों को न्याय नहीं मिल रहा है,  उनके सपनों को रौंदा जा रहा है,  आओ आज फिर हम सब कसम खाये,  शास्त्री और गांधी का भारत बनाये,  शास्त्री और गाँधी की गाथा सदा अमर रहेगी,  यही उनको जन्मदिन की सही बधाई होगी।। गरिमा लखनवी

पीले पत्ते और बुढ़ापा

  पीले पत्ते जो डाली से टूट जाते है,  वैसे ही इंसान बूढ़ा होकर टूट जाता है,  डाली के पीले पत्ते अपनी व्यथा कहते हैं, वैसे ही बुढ़ापा अपना उम्र का राज सुनाता है,  पीले पत्तों की परवाह कोई नहीं करता है,  बूढे इंसान को भी आज बोझ समझा जाता है,  क्या हो गया है आज की पीढ़ी को,  जो आया है वो ढल जाएगा ये क्यों नहीं समझा जाता,  कितनी कहानी कहती है वो बूढी आखें,  कितनी कहानी कहती है वो पीले पत्ते,  हम क्यों नहीं समझा पाते हम भी बूढे होंगे,  और एक दिन गिर जाएंगे पीले पत्तों की तरह,  कितनी यादे होंगी उन पत्तों से हमे,  कितने जतन से पाला होगा हमने,  अब ना वो समय रहा ना ही वो लोग रहे,  में देखता हूं पीले पत्तों को अपने बच्चों की तरह, बहुत सारी यादे जुड़ी है उनसे ,  पीला पत्ता और बुढ़ापा एक दूसरे के पूरक हैं,  जैसे जिन्दगी की शान ढ़ल रही है, वैसे ही पेड़ के पीले पत्ते झड़ रहे हैं, बूढे लोगों का सम्मान कीजिए,  उनसे प्यार के दो बोल बोलिये।। गरिमा लखनवी

सच्चा प्यार

   सच्चा प्यार क्या होता है,  ये कोई तुमसे पूछे,  निस्वार्थ भाव से प्यार करते हो,  कोई तमन्ना नहीं है तुम्हारी,  बहुत प्यार करते हो तुम,  दिल की गहराई में उतर कर देखो,  प्यार बहुत अनमोल होता है,  तुम बहुत अच्छे लगने लगे हो,  तुम्हारी हर हरकत मन को गुदगुदाती है, तुम्हारे साथ बिताया हर पल बहुत याद आता है,  प्यार का अह्सास बहुत खूबसूरत होता है,  मेरी चाहत तेरे लिए है,  मेरी सासें तुम्हारे लिए है,  मेरी हर धड़कन पर तेरा नाम लिखा है,  प्यार भगवान की इबादत है,  प्यार निस्वार्थ होता है,  सच्चा प्यार बड़े नसीब से मिलता है।। गरिमा लखनवी

इश्क खुद से हुआ

  जब इश्क खुद से हुआ,  एक बार फिर इश्क हुआ,  इस बार खुद से इश्क हुआ,  खुद को जब आईने में देखा,  तो लगा खुद से अच्छा कोई नहीं,  दुनिया क्या कहती मेरे बारे में,  उसकी कोई परवाह नहीं,  जो खुद को अच्छा लगे वो काम करो,  दूसरों के आंसू का सम्मान करो,  कुछ ऐसा काम कर जाओ,  ये दुनिया तुम्हें याद करे,  जो कमियाँ निकालते थे मुझमे,  वो आज मेरे मुरीद बन गए,  हम से है ज़माना,  ज़माने से हम नहीं,  क्यों नहीं करती थी खुद से प्यार,  ये सोच अब डरती हूं,  क्या नहीं था मेरे पास , ये समझ नहीं पाती हूं,  ए दिल कुछ नहीं साथ जाता , ये तु समझ क्यों नहीं पाता है,  बस ये समझ ले,  तेरा जन्म खुशियां बिखेरने के लिए हुआ है,  खुद से भी ही इश्क कर तू,  यही तेरी आत्मा की आवाज़ है।। गरिमा लखनवी

हमारा रिश्ता

   हमारा रिश्ता भी क्या खूब है,  जो कोई समझ ना सका,  हम दोनों बह गए इस रिश्ते में, ऐसा लगा मानो,  कई सदियों से तुम्हें जानते हैं,  क्या पूर्व जन्म का रिश्ता तो नहीं,  तुम पास नहीं होते,  तो लगता है कुछ खाली सा है,  दिल के किसी कोने से टीस आती है,  तुम्हें देखे बिना मन नहीं मानता,  क्या तुम्हें भी ऐसा अह्सास होता है,  तुमसे बात नहीं होती तो ऐसा लगता है,  जैसे आज दिन नहीं निकला,  तुम अच्छे लगने लगे हो,  तुम सच्चे लगने लगे हो,  है कोई रिश्ता हमारा तुम्हारा,  जिसे हम कोई नाम ना दे तो अच्छा है, तुमसे बातें करना मन को लुभाता है,  जाने कौन सा जादू है तेरी हंसी में,  मन गुदगुदाने लगता है,  अपना कीमती समय देकर मेरा मान बढ़ाता है,  हर कदम पर मेरा साथ देते हो,  जो दिल में रहते हैं वो दिल में रहते हैं,  प्रभु का धन्यवाद जिन्होंने तुम्हें मेरी जिन्दगी में भेजा।। गरिमा लखनवी