सच्चा सुख

 


सुख क्या है,

यह कोई नहीं जानता।


किसी को धन में सुख दिखता है,

किसी को घर-परिवार की खुशी,

किसी को नौकरी में चैन मिलता है,

पर सच्चा सुख क्या होता है,

यह कोई नहीं जानता।


सच्चा सुख तो मन की शांति है,

जिसे पाने को सब दौड़ रहे हैं,

पर संतोष का धन

आज किसी के पास नहीं है।


सच्चा सुख तब है,

जब किसी चेहरे पर मुस्कान आ जाए,

जब किसी को थोड़ी-सी मदद मिल जाए।


सच्चा सुख तब है,

जब किसी की ज़िंदगी संवर जाए,

जब किसी का दर्द कम हो जाए।


पर अफसोस—

सच्चा सुख सब खोज रहे हैं,

मगर यह नहीं समझते

कि वह बाहर नहीं,

हमारे भीतर ही छिपा है।


— गरिमा लखनवी

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