राम जीवन



विष्णु के सप्तम अवतार, त्रेता युग में जन्मे राम,

इक्ष्वाकु कुल की शोभा बढ़ाई, बन गए मर्यादा पुरुषोत्तम नाम।


पिता के वचन की रक्षा की, चौदह वर्ष वनवास निभाया,

धर्म-पालन के मार्ग पर चलकर, आदर्श मानव कहलाया।


वनवास में ऋषि-मुनियों को, अधर्म से मुक्त कराया,

रावण के अन्याय मिटाने, धनुष उठा संहार कराया।


समुद्र पर सेतु बनाकर, लंका तक सेना को ले आए,

अधर्म का अंत कर रावण से, सीता जी को वापस लाए।


ग्यारह सहस्त्र वर्ष अयोध्या में, रामराज्य का राज बसाया,

धर्म, न्याय और सत्य की छाया, हर प्रजा सुखी बनाया।


लव-कुश को राज्य सौंपकर, बैकुंठ धाम को चले गए,

सियाराम के नाम का जयघोष, युग-युगांतर तक गूँज गए।


बोलो सियाराम चंद्र की जय 

गरिमा पंत

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