मातृ पितृ दिवस
माता पिता हमारे जीवन में बहुत महत्व रखते है, उनको केवल एक दिन याद कर लेने मात्र से हमारे दायित्व की पूर्ती नहीं होती है जिन्होंने हमें जन्म दिया पाला पोसा, जीवन जीने की कला सिखाई क्या उन्हें बस एक दिन याद कर लेना बहुत होता है माँ पापा हमारे जीवन की धुरी होते है माँ अगर धरती है तो पिता आकाश होता है पिता अपनी जिम्मेदारी हमेशा निभाता है. माँ से बड़ा कोई नहीं है भगवन से बढ़कर माँ पापा होते है, हमें सही रास्ता दीखते है, माँ पापा अपने भूखा रखकर हमें खाना खिलाते है, उनका कर्ज कोई नहीं उतार सकता है।
माता पिता अपने सब बच्चो को सामान समझते है, कोई भेद भाव नहीं करते उनकी हर जरुरत पूरा करते है आधुनिक युग में माँ पापा की परिभाषा बदल गयी है. बच्चे उन्हें बोझ समझते है उनके लिए ओल्ड ऐज होम ढूँढ़ते है जब माँ पापा को सबसे ज्यादा जरुरत अपने बच्चो की होती है तब वो उनके पास नहीं होते है वो अपना दर्द किसी से नहीं पाते क्या केवल मातृ पितृ दिवस मना लेना ही उचित है बच्चे ये क्यों नहीं समझते ही माँ पापा से बढ़कर कोई नहीं है बच्चो को अपने माँ पापा की सेवा करनी चाहिए माँ पापा को हर ख़ुशी देनी चाहिए माँ कितने कष्टों से बच्चे को जन्म देती है और वो सारी खुशियाँ अपने बच्चे पर लुटा देती है केवल इसलिए ही न की बच्चा बड़ा होकर मुझे सहारा देगा पर बच्चा क्या करता है वो माँ को कुछ समझता नहीं है, उसे केवल अपनी खुशिया दिखाई देती है।
पर अब समय बदल रहा है बच्चे माँ पापा को सम्मान देने लगे है उनकी जरूरतों को समझने लगे है क्योकि वो बच्चे अब खुद किसी बच्चे के पापा माँ बन चुके होते है केवल एक दिन माँ पापा को याद कर लेने से उनके प्रति जिम्मेदारी पूरी नहीं हो जाती है माँ पापा जब तक जीवित है उनकी पूजा करनी चाहिए माँ पापा के जाने के बाद उन्हें याद करना उनके लिए पूजा करना उनकी तिथि पर भोजन कराना यह पर्याप्त नहीं है. माँ पापा का मान हमेशा बढ़ना चहिये उनकी हर जरुरत पूरी करनी चाहिए।
माँ पापा को प्यार दो सम्मान दो वो केवल उसके भूखे है और किसी के नहीं है माँ पापा की चरणों में स्वर्ग है, उन्हें जिंदगी की हर सास तक याद करना चाहिए।
गरिमा
माता पिता अपने सब बच्चो को सामान समझते है, कोई भेद भाव नहीं करते उनकी हर जरुरत पूरा करते है आधुनिक युग में माँ पापा की परिभाषा बदल गयी है. बच्चे उन्हें बोझ समझते है उनके लिए ओल्ड ऐज होम ढूँढ़ते है जब माँ पापा को सबसे ज्यादा जरुरत अपने बच्चो की होती है तब वो उनके पास नहीं होते है वो अपना दर्द किसी से नहीं पाते क्या केवल मातृ पितृ दिवस मना लेना ही उचित है बच्चे ये क्यों नहीं समझते ही माँ पापा से बढ़कर कोई नहीं है बच्चो को अपने माँ पापा की सेवा करनी चाहिए माँ पापा को हर ख़ुशी देनी चाहिए माँ कितने कष्टों से बच्चे को जन्म देती है और वो सारी खुशियाँ अपने बच्चे पर लुटा देती है केवल इसलिए ही न की बच्चा बड़ा होकर मुझे सहारा देगा पर बच्चा क्या करता है वो माँ को कुछ समझता नहीं है, उसे केवल अपनी खुशिया दिखाई देती है।
पर अब समय बदल रहा है बच्चे माँ पापा को सम्मान देने लगे है उनकी जरूरतों को समझने लगे है क्योकि वो बच्चे अब खुद किसी बच्चे के पापा माँ बन चुके होते है केवल एक दिन माँ पापा को याद कर लेने से उनके प्रति जिम्मेदारी पूरी नहीं हो जाती है माँ पापा जब तक जीवित है उनकी पूजा करनी चाहिए माँ पापा के जाने के बाद उन्हें याद करना उनके लिए पूजा करना उनकी तिथि पर भोजन कराना यह पर्याप्त नहीं है. माँ पापा का मान हमेशा बढ़ना चहिये उनकी हर जरुरत पूरी करनी चाहिए।
माँ पापा को प्यार दो सम्मान दो वो केवल उसके भूखे है और किसी के नहीं है माँ पापा की चरणों में स्वर्ग है, उन्हें जिंदगी की हर सास तक याद करना चाहिए।
गरिमा
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