भारत जैसा कुछ नहीं

  भारत जैसा कोई नहीं
सोने की चिड़िया कहलाता है,
यहाँ सब कुछ मिलता है,
प्यार भी मिलता  है यहाँ पर
पर क्या हुआ मेरे भारत को
प्यार की जगह नफरत ने ले ली
 क्यों हो  गए ऐसे लोग मेरे  देश के
जहा  बहती थी प्यार की की धारा
 वहाँ बहती है खून की   धारा
जहाँ  होती है देवी  की पूजा,
वही आज लड़कियों को कुछ नहीं समझा जाता
क्या हुआ मेरे देश को
किसकी नज़र लग गयी  मेरे देश को
नदियों की धारा बह  रही है जहाँ  पर
वो देश है मेरा महान भारत
फूलो का बिस्तर धरती पर
आसमान जिसको भिगोता है
झरने कल कल करते है
सब मिलकर गीत गाते  है
मेरे देश जैसा कुछ नहीं
मेरा भारत महान है
गरिमा 


टिप्पणियाँ

काव्यांजलि ने कहा…
गरिमा जी लाजवाब लेखन बधाई

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