बरसते मेघ

बरसते मेघ क्या कहते है,
धरती की ताप मिटाते है,
प्यार की बरसात कर जाते है,
फिर भी कुछ नहीं मांगते किसी से,
तह तरफ हरियाली छाती है।
पेड़ पौधे नाचने लगते है,
काली काली घटाये जब छाती है।
मन चंचल हो जाता है,
बरसते मेघ कहते है,
तुम अपना आँचल फैला लो,
समेट लो जहां की खुशियाँ,
मेघ कहते है हटा दो दुनिया से
सारी बुराईयो को,
बरसा दो हर तरफ प्यार की सौगातें,
डूब जाये सभी प्यार की बारिश में।।
गरिमा

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