पिता का जीवन में महत्व

संघर्ष का दूसरा नाम है पिता
बचपन से जो हमें सपने दिखाए वो है पिता
ऊँगली पकड़कर जो चलना सिखाये वो है पिता
हमारी जागीर और जमीर है पिता
ऊपर से डाट दिखाता और अंदर ही अंदर रोता वो है पिता
जाग कर सारी  रात ख्बाब बुनता वो है पिता
जिसने यह हरा भरा संसार दिखाया वो है पिता
अच्छे बुरे  का ज्ञान कराया वो है पिता
सही गलत का रास्ता दिखाया वो है पिता
मंजिलो को छूना सिखाया वो है पिता
अपनी जरूरतों को काटकर हमारी मांगो को पूराकर
हसंता रहता वो है पिता
जब डर  लगे तो हिम्मत दिखाए वो है पिता
जो सपने हमने देखे उनको पूरा करने मैंने करता मदद वो है पिता
अपनी जवानी बच्चो पर लुटाता वो है पिता
हमारा वजूद बताता वो है पिता
भगवान से बढ़कर होता है पिता
अपने दुःख को छुपाकर बच्चो को हसाता वो है पिता
अगर पिता न हो तो
सूना है सँसार
माँ बाप के चरणों में ही
स्वर्ग का अहसास है
पिता की महानता को
शत शत  प्रणाम है
-गरिमा 

टिप्पणियाँ

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (19-06-2018) को "कैसे होंगे पार" (चर्चा अंक-3006) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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