माँ की महिमा
माँ कितनी महान होती है
उसके चरणों में जन्नत होती है
माँ की महिमा का क्या करुँ वर्डडन
वो तो सारे बरम्हांड की माँ होती है,
देवता भी जिन्हे पूजते नहीं थकते
ऐसी माँ हम सबकी पहचान होती है,
वो भूखा रहकर हम सबको खिलाती
ये उसके ममता की पहचान होती है
माँ कितनी महान होती है
जिसकी माँ नहीं होती वो कितने अभागे है
पर माँ ही उनकी भी पहचान होती है,
फिर क्यों भूल जाते उसके त्याग
वो तो बच्चो के मुख की मुस्कान होती है
माँ कितनी महान होती है
बीबी आने के बाद भूल जाते लोग माँ को
पर माँ को अपनी बच्चो की परवाह होती है
हर दुःख अपने पर लेकर बच्चो के
हर सुख सेहत की परवाह होती है,
माँ कितनी महान होती है
उसके चरणो में जहाँ होता है
ऐसी माओ को मेरा शत शत नमन
उसके चरणों में जन्नत होती है
माँ की महिमा का क्या करुँ वर्डडन
वो तो सारे बरम्हांड की माँ होती है,
देवता भी जिन्हे पूजते नहीं थकते
ऐसी माँ हम सबकी पहचान होती है,
वो भूखा रहकर हम सबको खिलाती
ये उसके ममता की पहचान होती है
माँ कितनी महान होती है
जिसकी माँ नहीं होती वो कितने अभागे है
पर माँ ही उनकी भी पहचान होती है,
फिर क्यों भूल जाते उसके त्याग
वो तो बच्चो के मुख की मुस्कान होती है
माँ कितनी महान होती है
बीबी आने के बाद भूल जाते लोग माँ को
पर माँ को अपनी बच्चो की परवाह होती है
हर दुःख अपने पर लेकर बच्चो के
हर सुख सेहत की परवाह होती है,
माँ कितनी महान होती है
उसके चरणो में जहाँ होता है
ऐसी माओ को मेरा शत शत नमन
टिप्पणियाँ
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
गुरू पूर्णिमा तथा मुंशी प्रेमचन्द की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'