विरह वेदना
सजना गए परदेस
हमको काहे भूल गए
कोई दिन, कोई महीना
न हो ऐसा जब तुम हमको
न आते हो याद सजना
का ऐसी भूल हो गयी
जो तुम हमको भूल गए
कैसे कहु हाल दिल का
अब तो सूनी सारी राहे
नैना तरस गए तेरे मिलने को
कब आओगे मेरे सजना
हम आस लिए बैठे है
हम है तेरे बिन अधूरे
अब तो मान भी जाओ सजना
आ जाओ तुम लेकर कंगना
हमको काहे भूल गए
कोई दिन, कोई महीना
न हो ऐसा जब तुम हमको
न आते हो याद सजना
का ऐसी भूल हो गयी
जो तुम हमको भूल गए
कैसे कहु हाल दिल का
अब तो सूनी सारी राहे
नैना तरस गए तेरे मिलने को
कब आओगे मेरे सजना
हम आस लिए बैठे है
हम है तेरे बिन अधूरे
अब तो मान भी जाओ सजना
आ जाओ तुम लेकर कंगना
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