अँधेरी रात में दिया कौन जलाये
अँधेरी रात है कौन दिया जलाये
कोई प्रकाश की किरन नहीं
कौन जग में दिया जलाये
कल्पना के बीज बो दिए
पर उजाले में वो दिवास्वप्न लगता है,
है बेरोजगारी चारो तरफ
मन है नोजवानो के अँधियारा
अँधेरी रात है कौन दिया जलाये
भटकाव का अँधियारा है
प्रजा में है अँधियारा
कोई राजा नहीं है जो दीप जलाये
और अपने राज्य में अँधेरा मिटाये
हर तरफ अँधेरा है
ऐसे में सब मिल दीप जलाये
अपने चारो तरफ का अँधेरा मिटाये
अँधेरा बेरोजगारी का, भ्रष्टाचार का
जातिवाद का
और अपने देश को जगमगाए
कोई प्रकाश की किरन नहीं
कौन जग में दिया जलाये
कल्पना के बीज बो दिए
पर उजाले में वो दिवास्वप्न लगता है,
है बेरोजगारी चारो तरफ
मन है नोजवानो के अँधियारा
अँधेरी रात है कौन दिया जलाये
भटकाव का अँधियारा है
प्रजा में है अँधियारा
कोई राजा नहीं है जो दीप जलाये
और अपने राज्य में अँधेरा मिटाये
हर तरफ अँधेरा है
ऐसे में सब मिल दीप जलाये
अपने चारो तरफ का अँधेरा मिटाये
अँधेरा बेरोजगारी का, भ्रष्टाचार का
जातिवाद का
और अपने देश को जगमगाए
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