कौन है वो

कौन है वो जिसका है इंतजार
 खड़ा दरवाजे पर कौन
किसकी है आहट
दबे पाँव कोई आ रहा  है
हुई  थोड़ी  सी हलचल
आ गया  वो
ये तो कोई अजीब सा इन्सान है
किसे लेने  आया है
 एक सांस टूटी
और ले गया वो अजीब इन्सान
एक ज्योति
और छोड़ गया वो निर्जीव शरीर
किसके लिए
सिर्फ रोने के लिए
एक मलाल रहा
कुछ न कर पाए हम
इस जिन्दगी में
बेकार हो गया जीवन
व्यर्थ की बातो में
 अब  एक आस   आयेंगे
फिर से इस जहा में
कुछ के तो आसूं पूछ पाएंगे हम    

टिप्पणियाँ

Naveen Mani Tripathi ने कहा…
bahut hi sundar abhivykti ....lajbab drishitikon ..sadar aabhar.
विभूति" ने कहा…
खुबसूरत अभिवयक्ति....
बहुत उम्दा...बहुत बहुत बधाई...
Satish Saxena ने कहा…
अच्छा लिखती हो ..
बधाई !

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