जिन्दगी एक किराये का घर है
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा
मौत जब तुझको आवाज़ देगी
घर से बहार निकलना पड़ेगा
मौत का बजा जब सर पे डंका
फूक दी पल में सोने की लंका
मौत जब तुझको आवाज़ देगी
घर से बहार निकलना पड़ेगा
देखना हो गर दिन सूनेहरा
शाम के बाद होगा सवेरा
पैर फूलो में रखने से पहले
तुमको काटों पर चलना पड़ेगा
ये जवानी है दो दिन का सपना
ढूंढ लो साथी कोई भी अपना
ये जवानी अगर ढल गयी तो
हाथ हाथ मल मल के रोना पड़ेगा
जिन्दगी एक किराये का घर है
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा
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टिप्पणियाँ
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा
माना कि सच है पर ऐसी सेड बातें न लिखा कीजिये।
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा....शाश्वत सच...