और अनुराग चला गया

 

क्या हुआ जो उसके पैर में चोट लगी, 

क्या हुआ जो उसको एडमिट नहीं किया, 

वो लडता रहा जिन्दगी से जीने के लिए, 

पर हार गया वह अपनी जिंदगी से,

सबसे बडा दर्द यही है कि जिस अस्पताल में काम किया, 

वही उसकी सुनवाई न हुई, 

एक हसमुख इंसान हमारे बीच से चला गया, 

दिल मे दर्द है आखे भी नम है, 

अब कहाँ पायेंगे आपको,

जहां रहिये खुश रहिये आप,

यही प्रार्थनाकरते है हम सब, 

बहुत याद आयेंगे आप। ।

गरिमा लखनवी

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