मेरा प्यार

अचानक मेरे दिल में अहसास होता है,
कोई मेरे आस पास होता है,
उसकी आखो के समुन्दर में,
डूबने का अहसास होता है
बेइंतहा चाहती  हूँ में तुम्हे,
तुम्हारी सासो में डूब जाना चाहती  हूँ
दीये और बाती  की तरह,
हर रिश्ता निभाना चाहती  हूँ
पागलो की तरह तुमसे प्यार करती  हूँ ,
प्यार की हर रस्म निभाना चाहती हूँ
जो सपने हमने देखे थे साथ मिलकर,
उन सपनो को पूरा करना चाहती हूँ
यादो के झरोखों में जाकर,
उन अहसासों के साथ जीना चाहती हूँ
एक दूसरे के बारे में  शिकयत करके,
तुमसे रूठ जाना चाहती हूँ
तुम मुझे मनायो, में तुम्हे मनाऊ ,
इस  तरह प्यार बढ़ाना चाहती हूँ
तुम प्यार हो मेरा और में तुम्हारा,
इस अहसास में डूब जाना चाहती हूँ
गरिमा 
 

टिप्पणियाँ

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (22-01-2019) को "गंगा-तट पर सन्त" (चर्चा अंक-3224) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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उत्तरायणी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
प्रेम के इस गहरे एहसास को जिया है इस रचना में ...
बहुत सुन्दर ...

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