सवेरा हो गया
सूरज निकला हुआ सवेरा
पंछी निकले अपने घरों से,
आसमान में लालिमा छायी
मौसम की निराली छटा छायी
सिमट गया रात का पहरा
रात गयी तो फूल खिले
सबके लिए नया पैगाम आया
सूरज निकला हुआ सवेरा
लोगो के जीवन में आएगा कब सवेरा
भूख और बईमानी का अँधेरा
कब जाएगा
जागो प्यारे तुम भी जागो
सरपट से दूर भगाओ अँधेरा
जब जागे तब ही सवेरा
पंछी निकले अपने घरों से,
आसमान में लालिमा छायी
मौसम की निराली छटा छायी
सिमट गया रात का पहरा
रात गयी तो फूल खिले
सबके लिए नया पैगाम आया
सूरज निकला हुआ सवेरा
लोगो के जीवन में आएगा कब सवेरा
भूख और बईमानी का अँधेरा
कब जाएगा
जागो प्यारे तुम भी जागो
सरपट से दूर भगाओ अँधेरा
जब जागे तब ही सवेरा
टिप्पणियाँ
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
रात के बाद दिन आना नियत है ...
बहुत सुन्दर