हिंदी की दुर्दशा
एक और हिंदी दिवस आ गया
और हमने हिंदी को याद कर लिया लिया
तो क्या मात्र हिंदी दिवस
मना लेने से इतिश्री होगा
हिंदी की दुर्दशा का क्या कहना
आज तो अंग्रेजी भी हिंदी में मिलने लगी है
आलम यह है कि हर जगह
अंग्रेजी का असर है
अब तो हिंदी भी अंग्रेजी का गुलाम हो गयी है,
आज हिंदी रोती है
कि आने वाली मुझे कैसे समझेगी
मात्र हिंदी दिवस पर हिंदी को याद
कर लेना काफी नहीं
हिंदी चीखकर कह रही है
कि मुझे बचाओ ! मुझे बचाओ
पर उसकी चीख सुनकर भी हम
अनसुना कर देते है
और हमने हिंदी को याद कर लिया लिया
तो क्या मात्र हिंदी दिवस
मना लेने से इतिश्री होगा
हिंदी की दुर्दशा का क्या कहना
आज तो अंग्रेजी भी हिंदी में मिलने लगी है
आलम यह है कि हर जगह
अंग्रेजी का असर है
अब तो हिंदी भी अंग्रेजी का गुलाम हो गयी है,
आज हिंदी रोती है
कि आने वाली मुझे कैसे समझेगी
मात्र हिंदी दिवस पर हिंदी को याद
कर लेना काफी नहीं
हिंदी चीखकर कह रही है
कि मुझे बचाओ ! मुझे बचाओ
पर उसकी चीख सुनकर भी हम
अनसुना कर देते है
टिप्पणियाँ
हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः35 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें,
हिंदी फोरम