महिलाओं की स्थिति चिंताजनक
यह बिडम्बना ही है कि आज स्त्री विमर्श चर्चा का विषय बन कर रह गया है। इसके लिये आन्दोलन भी होते है, पर कोई बदलाव नहीं आया है। क्या यह विषय मात्र चर्चा का रह गया है हर जगह लडकियो को ही त्याग करना पडता है। उन्हे शिक्षा से भी वंचित रखा जाता है, लडकियॉ एक नन्हे पौधे की भाति होती है जिसका बीज कही लगता है और पेड कही और बडा होता है। जब पौधा छोटा है तो उसकी देखभाल बहुत प्यार से की जाती है और एक दिन उसे दूसरे जगह लगा दिया जाता है। ऐसा ही कुछ लडकियो के साथ होता है। वहॉ माली पानी नही डालता है तो पौधा मुरझा जाता है उसी तरह से लडकियो के साथ होता है।
क्या बिडम्बना है कि हर दूसरी लडकी कुपोषण का शिकार है। 1000 पुरूषों पर 914 लडकियॉ है कितनी भयावह स्थिति है। हर 10वी लडकी यौन शोषण का शिकार होती है। कितनी लडकियो को कोख में मार दिया जाता है क्या दोष है उनका बस यही कि वो लडकी है, क्यो नही उसे भी इन्सान समझा जाता है। आज भी लडका पैदा होनक पर मिठाई बटती है, और लडकी पैदा होने पर बहू को कोसा जाता है। यह भी सही है कि यह स्थिति आज से नहीे काफी पुरानी है। हमेशा लडकियो को ही सहना पडता है, हर जगह उनको ही झुकना पडता है। उन्हें पढाई से वंचित किया जाता है। उन्हे खाना अच्छा नहीं दिया जाता है जिससे वो कुपोषण का शिकार होती है। आज भी लडकियो को बोझ समझा जाता है
आज स्थिति बदल रही है हम लोग पढे लिखे की श्रेणी में आते है, लडकियो की पढाई पर ध्यान दिया जा रहा है। तभी लडकिया लडको से आगेे हर क्षेत्र में है। फिर भी लडकियो को मात्र घर की शोभा समझा जाता है।
आजादी के समय भी महिलाओं ने बढ चढ का भाग लिया था, उस समय भी महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं थी उन्हें गुलामी की जिन्दगी जीनी पडती थी। उस समय भी महिलाओं ने नेतृृव्य सम्हाला था और आज भी सम्हाल रही है। भारत में सरोजिनी नायडू पहली ऐसी महिला थी जिन्होने ऐनी बेसेण्ट और अन्य लोगो के साथ मिलकर भारतीय महिला संघ की स्थापना की । उसके बावजूद भी महिलाओं की स्थिति ठीक नही रहीं, वंशवाद के नाम पर उन्हें प्रताडना सहनी पडती हैं। कन्या भ्रूण हत्या आज भी जोरो पर है। लडकी अपने घर में ही सुरक्षित नही है। शादी हो जाना ही मात्र विकल्प नहीं हैं। शिक्षित होना भी जरूरी है। दहेज भी एक कारण है, लडकियो को जिंदा जला दिया जाता है, क्या उनका लडकी होना गुनाह है? अगर लडकिया नही होगी तो देश का भविष्य क्या होगा? यह कियी ने सोचा है।
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