पत्थरों का शहर
पत्थरों के इस शहर में
किस से दिल लगाऊ
हर कोई लगाये है चहेरे
कोई नहीं लगता है अपना
किस से दर्द बताऊ
पत्थरों के शहर में
न दिलहै न जज्बात,
हर कोई लगता है झूठा
कैसे हाल बताऊ
सब कोई हँसते है हम पर
का से दर्द बताऊ
पत्थरों के शहर में
हर कोई हेरान है
किस से दिल लगाऊ
हर कोई लगाये है चहेरे
कोई नहीं लगता है अपना
किस से दर्द बताऊ
पत्थरों के शहर में
न दिलहै न जज्बात,
हर कोई लगता है झूठा
कैसे हाल बताऊ
सब कोई हँसते है हम पर
का से दर्द बताऊ
पत्थरों के शहर में
हर कोई हेरान है
टिप्पणियाँ
hindiblogsamuh.blogspot.com
किसी किसी की वो सुन भी लेता है :-)
बहुत सुन्दर रचना !