नारी तुझे प्रणाम
जीवन भर सहती सजा
यही तेरी है व्यथा
नहीं तेरे मन में कोई पाप
करती तू सबको माफ़
तेरा जीवन सागर से महान,
चलते रहना तेरा काम
घर को तुम स्वर्ग बनाती
रिश्तो को भी तुम सजाती
जैसे हो दिया की बाती
पर फिर भी क्यों समझ नहीं पाते
तेरी को क्यों अबला बताते
तो है जननी तू है महान
खुद को भुलाकर जीती है
सबके खुश में खुश होती है
अपने दर्द छुपाती है
फिर भी क्यों नहीं समझ पाते
नारी की महानता को
ऐसी नारी को मेरा प्रणाम
यही तेरी है व्यथा
नहीं तेरे मन में कोई पाप
करती तू सबको माफ़
तेरा जीवन सागर से महान,
चलते रहना तेरा काम
घर को तुम स्वर्ग बनाती
रिश्तो को भी तुम सजाती
जैसे हो दिया की बाती
पर फिर भी क्यों समझ नहीं पाते
तेरी को क्यों अबला बताते
तो है जननी तू है महान
खुद को भुलाकर जीती है
सबके खुश में खुश होती है
अपने दर्द छुपाती है
फिर भी क्यों नहीं समझ पाते
नारी की महानता को
ऐसी नारी को मेरा प्रणाम
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सादर